Samkalin Bharatiya Darshan (समकालीन भारतीय दर्शन)
₹190.00
Author | Dr. Laxmi Saxena |
Publisher | Uttar Pradesh Hindi Sansthan |
Language | Hindi |
Edition | 7th edition, 2017 |
ISBN | 978-93-82175-98-8 |
Pages | 484 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 3 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | UPHS0037 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
समकालीन भारतीय दर्शन (Samkalin Bharatiya Darshan) इस पुस्तक में समकालीन भारतीय दार्शनिक दृष्टिकोण को उसका प्रतिनिधित्व करने वाले कुछ प्रमुख दार्शनिकों के माध्यम से यथासंभव उन्हीं के शब्दों में, प्रस्तुत करने की चेष्टा की गयी है। ऐसा इस विश्वास के साथ किया गया है कि समकालीन भारतीय दार्शनिकों ने अपने प्रयासों द्वारा पाश्चात्य दार्शनिक चिंतन को आत्मसात् करते हुए, उसे एक नवीन दिशा प्रदान की है। यह निश्चित है कि मेरी अपनी दृष्टि में इस दर्शन का केवल एक ऐतिहासिक महत्त्व ही नहीं है और न ही उसने पाश्चात्य दार्शनिक चिंतन की कुछ फैशनेबुल प्रवृत्तियों का अनुगमन करके अपनी सर्जनावृत्ति को संतुष्ट कर लिया है। यह तो जैसा कि प्रथम अध्याय में प्रस्तुत किया गया है, केवल स्वातंत्र्योत्तर काल की ही विशेषता दिखलायी पड़ती है, जो अभी पर्याप्त तरल है, इसलिए यह पुस्तक युग विशेष की एक प्रवृत्ति के रूप में ही प्रस्तुत की गयी है।
इस पुस्तक में समकालीन भारतीय दर्शन के अन्तर्गत एम.एन. राय तथा देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय को भी सम्मिलित किया गया है, जो परम्परागत तथा नवीन भारतीय चिन्तन के लिए अपवाद प्रतीत हो सकते हैं। चट्टोपाध्याय भौतिकवादी दृष्टिकोण को और राय मानववाद को प्रस्तुत करते हैं। ये दोनों ही सशक्त चिंतक हैं और उन्होंने परम्परा से कुछ मुक्त होकर सोचने की चेष्टा की है। मानवतावाद तो आज के युग का सबसे आकर्षक वाद है और इसलिए इसका महत्त्व भी है। पर आमूल मानवतावाद की अपनी सीमाएँ हैं जिन्हें श्री अरविन्द तथा राधाकृष्णन् ने अपने तरीके से प्रस्तुत करने की चेष्टा की है। देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय ने भारतीय दर्शन के मूल ग्रन्थों से अपने चिंतन को संयुक्त करते हुए उन्हें भौतिकवाद का समर्थन करने वाला माना है और अपने निष्कर्षों का सशक्त युक्तियों से समर्थन किया है। पर भौतिकवाद की अपनी सीमाए हैं जिनसे हम सभी परिचित हैं और इस युग के अध्यात्मवादी दार्शनिकों ने अनेक कोणों से उसकी सीमाओं को प्रस्तुत किया है।
Reviews
There are no reviews yet.