Sampurna Vedi Pujan (सम्पूर्ण वेदी पूजन)
₹140.00
Author | Dr. Chandresh Upadhyay |
Publisher | Shri Kashi Vishwanath Sansthan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2023 |
ISBN | 978-93-92989-23-0 |
Pages | 264 |
Cover | Hard Cover |
Size | 18 x 2 x 12 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0259 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
सम्पूर्ण वेदी पूजन (Sampurna Vedi Pujan)
आनन्द रुपं जगदेक वन्धं गौरीपतिं सिद्धिकरं गुणाढ्यं।
वाराणसी नाथमनाथनाथं श्री विश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।। १ ।।
चतुर्भिश्च चतुर्भिश्च द्वाभ्यां पञ्चभिरेव च
हूयते च पुनर्द्राभ्यां तस्मै यज्ञात्मने नमः ।। २ ।।
“हस्तौ कल्पोऽथ पठ्यते” वेदपुरुष के हाथ के रूप में कल्प का स्थान है। कल्प के दो भेद हैं- श्रौत, स्मार्त्त। श्रौत यागों में वेदत्रयी के द्वारा ज्योतिष्टोमादि यागों का विधान किया जाता है। उसी प्रकार स्मार्त्त कर्म तीन कोटि में विभाजित है (१) आचार कर्म (२) व्यवहारकर्म (३) प्रायश्चित कर्म। आचार कर्म के अन्तर्गत (१) संस्कार (२) आह्निककृत्यविषय (३) दान (४) श्राद्ध (५) शान्ति (६) व्रत (७) प्रतिष्ठा (८) उत्सर्ग आते हैं।
संस्कार, शान्ति, व्रत, प्रतिष्ठादि कर्मों में विदियों का निर्माण एवं विधिवत् पूजन करने की परम्परा देखी जाती है। तथा कुछ वेदियाँ सभी कर्मों में निर्माण भी जाती है। तथा कुछ प्रधान वेदियों का निर्माण कर्मविशेष, देवताविशेष के अनुसार किया जाता है। जिसमें सर्व प्रचारित षोडशमातृका-सप्तघृतमातृका-नवग्रह-वास्तु-क्षेत्रपाल- सर्वतोभद्र-लिङ्गतोभद्र-गौरीतिलकमण्डल का विधान यहाँ दिया गया है। स्वस्तिवाचन, पुण्याहवाचन, पूर्णाहुति, वसोर्धारा आदि में चारों वेदों के मन्त्र संकलित किये गये हैं। वेदी पूजन नामक पद्धति कई हैं, परन्तु यह पद्धति चतुर्वेदोक्त मन्त्रों के संकलन से विशिष्ट हो गई है।
Reviews
There are no reviews yet.