Sangeet Vimarsha (संगीत विमर्श)
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Author | Gautam Chatterjee |
Publisher | Indian Mind |
Language | Hindi |
Edition | 1st edition, 2009 |
ISBN | 978-81-908945-0-0 |
Pages | 324 |
Cover | Hard Cover |
Size | 22 x 3 x 14 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | IM0065 |
Other | Dispached in 1-3 Days |
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संगीत विमर्श (Sangeet Vimarsha) यह सिर्फ सुभाषित आप्तवचन नहीं कि, शब्द मन्त्र है और पुस्तक प्रकाश। पुस्तकें बहुतायत हैं किन्तु संगीतवांग्मय पर सम्यक विमर्श करतीं बहुत कम, अर्थात् ऐसी पुस्तकें कम हैं जो संगीत के विद्यार्थी और विद्वान्, दोनों की संगीत सम्बन्धी जिज्ञासाओं को शान्त और जरूरतों को तथ्यों के साथ एक ही जगह पूरी कर दें, कलाकार को रचनात्मक शब्दों के संसार में जाने के लिए प्रेरित कर दें, और प्रयोगशील मन-मस्तिष्क को कुछ नया सोचने-रचने को विवश कर दें। यह पुस्तक ऐसे ही अभाव की शक्ति से प्रेरित एक रचनाप्रक्रिया है। संगीतपुस्तकों के रातोंरात लिखे जाने के गाइडयुग में प्रस्तुत पच्चीस अध्याय शोधजनित और शोधपरक हैं, विद्यार्थियों, विद्वानों, अध्येताओं, शास्त्रियों और संगीतरसिकों, सभी के लिए। इसमें विश्वसंगीतवांग्मय का प्राचीन परिप्रेक्ष्य भी है और आधुनिक आहट भी। दो शब्दों में, यह परवर्ती शोध के असंदिग्ध संकेतों से पूर्ण है। यह आकस्मिक नहीं है।
पुस्तक के पच्चीस अध्यायों को पच्चीस शोध के रूप में देखा जा सकता है। संगीत के प्राचीन और महत्वपूर्ण आकर ग्रन्थों पर आगम के प्रभाव पर कभी गहन शोध नहीं हुआ, न ही इस ढंग से विस्तृत विचार हुआ कि संगीत और आगम में परस्पर आत्यन्तिक सम्बन्ध है, या कि इन पर परस्पर विमर्श आरम्भ हो। दो- एक पुस्तकों में संक्षेप में इस पर चर्चा जरूर है। चूंकि मेरा शोध ही इस विषय पर है इसलिए संगीत और आगम-तन्त्र के अन्तर्सम्बन्ध पर विमर्श, पुस्तक का एक महत्वपूर्ण विमर्श-अध्याय है। इस अध्याय में ऐसे आगमों का उल्लेख है जिनमें संगीत के रागों और तालों का उल्लेख है, जिनका विवरण आधुनिक शती में यहाँ पहली बार हो रहा। संगीत और दर्शन का आधुनिक जगत यह पहली बार जानेगा कि ऐसा भी है।
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