Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 2 (संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-दो वेदाडंग खण्ड)
₹425.00
Author | Acharya Baldev Upadhyaya |
Publisher | Uttar Pradesh Sanskrit Sansthan |
Language | Hindi |
Edition | 2nd edition, 2015 |
ISBN | - |
Pages | 632 |
Cover | Hard Cover |
Size | 23 x 3 x 15 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | UPSS0002 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-दो वेदाडंग खण्ड (Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 2) वेद सभी विधाओं का मूल है। अतः सम्पूर्ण विश्व वैदिक साहित्य को प्राचीनतम मानता है। वैदिक साहित्य के अन्तर्गत वेद के अंगभूत छह रत्न शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छन्द और ज्योतिष भी परिगणित है। वेद के दोनों ही भागों ज्ञानकाण्ड और कर्मकाण्ड को समझने एवं सम्पादन में वेदाङ्ग की अतुलनीय भूमिका है। वेदाङ्ङ्ग के विपुल साहित्य का अध्ययन व अनुशीलन में नैरन्तर्य बना रहें, इस निमित्त संस्कृत वाङ्मय का वृहद इतिहास के प्रकाशन प्रस्ताव में उ.प्र. संस्कृत संस्थान ने द्वितीय खण्ड के रूप में सम्मिलित की है।
उ.प्र. संस्कृत संस्थान की स्थापना ही संस्कृत भाषा तथा उसके साहित्य को प्रचारित प्रसारित करने के लिए की गयी। अतः अपने स्थापित उद्देश्यों के अनुरूप संस्कृत वाङ्मय का वृहद् इतिहास सेन जिज्ञासुओं को परिचय प्रदान करने हेतु 18 खण्डों में विभक्त कर इसका प्रकाशन प्रारम्भ किया। अब तक इसके 15 खण्ड प्रकाशित हो चुके हैं और सभी खण्डों को अध्येताओं ने चुना है, सराहा है और विशेषकर शोधार्थियों ने अपने शोच प्रबन्ध में इसके अंशों को उद्धृत किया है जो संस्थान की उपलब्धि है। जैसे-जैसे खण्डों का प्रकाशन होता गया उसकी विक्री होती गयी और संस्थान की यह योजना यशस्वी होती गयी। पर्याप्त पाठकों के द्वारा अपने अध्ययन हेतु इस पुस्तक को अपनाने के कारण देश के प्रमुख नगरों के पुस्तक विक्रेताओं ने अपने प्रतिष्ठानों पर इस ग्रन्थ को रखने में रुचि दिखायी जिसके कारण 18 खण्डों तक प्रकाशन पूर्ण होने से पूर्व ही कुछ खण्ड आउट ऑफ प्रिण्ट हो गये। इसी श्रृंखला में संस्कृत वाङ्मय के वृहद् इतिहास का द्वितीय खण्ड ‘वेदाङ्ङ्ग खण्ड’ का पुनः प्रकाशन हो रहा है जिससे हम संस्कृताभिमानी गवेषणकर्ताओं को अध्ययन सामग्री सतत् उपलब्ध कराते रहे।
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