Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 8 (संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-आठ काव्यशास्त्र खण्ड)
₹750.00
Author | Acharya Baldev Upadhyaya |
Publisher | Uttar Pradesh Sanskrit Sansthan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2nd edition, 2021 |
ISBN | - |
Pages | 650 |
Cover | Hard Cover |
Size | 23 x 3 x 15 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | UPSS0008 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास भाग-आठ काव्यशास्त्र खण्ड (Sanskrit Vangmay Ka Brihad Itihas Khand 8) इस अष्टम खण्ड में काव्य शास्त्र के सभी सिद्धान्तों का निरूपण किया गया है। इसमें तीन खण्ड हैं-प्रथम खण्ड में महर्षि भरत से लेकर अच्युत राय तक काव्यशास्त्रीय ग्रन्थों के लेखक, समीक्षक या सिद्धान्त प्रर्वतक सभी आचार्यों का प्रामाणिक इतिवृत्त एवम् उनका विश्लेषण (देश-काल-रचनायें आदि) को विशिष्ट विद्वानों ने प्रस्तुत किया है।
‘काव्यशास्त्रीय सिद्धान्त’ नामक दूसरे खण्ड में काव्य शास्त्र का मूल, काव्य शास्त्र का निर्माण, काव्य शास्त्र के सम्प्रदाय, अलङ्कार सम्प्रदाय, काव्य-प्रयोजन, काव्य-कारण, काव्य-लक्षण आदि का विवेचन किया गया है। ‘अलङ्कार मल उसकी मान्यतायें, अलङ्कारवादी अचार्य परम्परा, रीति एवं वक्रोक्ति-सिद्धान्त, ध्वनि और औचित्य सिद्धान्त, रस सिद्धान्त, विभिन्न आचार्यों के सिद्धान्तानुसार रसनिष्पत्ति प्रकार रस विशेष (भेद) काव्य दोष, ध्वनि विरोधी आचार्य और व्यञ्जना वृत्ति आदि विषयों की सरल शब्दों में प्रस्तुति की गई है।
तृतीय पटल में छन्दः शास्त्र का इतिहास छन्दों की विविध संज्ञायें आदि विषयों का साङ्ङ्गोपाङ्ङ्ग विवेचन अपने विषय के जाने माने विशिष्ट विद्वानों द्वाराकिया गया है। इतने विषयों के निरूपण के पश्चादू भी जो विशाल काव्य शास्त्र के विषय छूट गये हैं; जैसे-काव्यभेद, काव्यात्मविमर्श, रस कौन सा पदार्थ है ? चित्त की वासनाएं, विभाव-अन्नुभाव-व्यभिचारी भाव का स्वरूप निरूपण, शान्त रस, काव्यगुण, संघटना, वृत्ति, भाव ध्वनि आदि का परिशिष्ट में निरूपण किया गया है।
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