Saundarya Lahari (सौंदर्यलहरी)
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Author | Udaynath Jha 'Ashok' |
Publisher | New Bharatiya Books Corporation |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2023 |
ISBN | 978-81-8315-462-8 |
Pages | 186 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | NBBC00044 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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सौंदर्यलहरी (Saundarya Lahari) सौन्दर्यलहरी पर अबतक लगभग ३५ टीकाएँ लिखी गई हैं, जिनमें प्रवरसेनकृत सुधाविद्योतिनी, कैवल्याश्रमी की सौभाग्यवर्धिनी, अज्ञातकर्तक डिण्डिमव्याख्या के अतिरिक्त लक्ष्मीधर, भास्करराय, कामेश्वरसूरि, अच्युतानन्द, सहजानन्द, स्वामी विष्णुतीर्थ, अनन्तकृष्ण शास्त्री, एस. सुब्रह्मण्य शास्त्री एवं टी. आर. श्रीनिवास आयंगर, सर जॉन बुड्रफ की टीकाएँ उल्लेखनीय हैं। इनमें कतिपय व्याख्याएँ प्रकाशित हैं तो कई अप्रकाशित भी और कुछ अनुपलब्ध भी, जिनके केवल नाम प्राप्त होते हैं। इनकी व्याख्याओं में चक्रों व कुण्डलिनी का विषय बहुत ही सुन्दर ढंग से स्पष्ट किया गया है, जबकि उसका रहस्योद्घाटन भी बड़े ही सरल शब्दों में हुआ है।
पुस्तकों का व्याख्यान सामान्यतः दो प्रकार से किया जाता है – एक साधारण अनुवाद और दूसरा व्याख्यात्मक। ग्रन्थ के गर्भ में प्रवेशकर उसके मूल-तत्त्व को निकालना, फिर उसे साधनोपयोगी बनाकर पाठकों के बीच में रखना व्याख्यात्मक कार्य माना जाता है। उसपर भी इस आध्यात्मिक और साधनापेक्षी ग्रन्थ का तो कहना ही क्या? इसलिए हमने यहाँ केवल मध्य का मार्गावलम्बन किया है, वह भी साधकों के लिए नहीं वल्कि छात्रों के लिए।
इसमें हमने लक्ष्मीधर, एस. सुब्रह्मण्यशास्त्री एवं टी. आर. श्रीनिवास आयंगरके व्याख्यानों का सार-मात्र ग्रहण किया है, अतः इन महानुभावों के हम सदा सादर आभारी हैं। साथ ही हिन्दी व्याख्यान में आचार्य विष्णुतीर्थ की टीका से जो हमने सम्बल प्राप्त किया है, उसके लिए उनका आभार प्रकट करना भी हमरा पुनीत कर्त्तव्य बनता है। प्रस्तुत संस्करण निकालने का एक ही उद्देश्य था कि छात्रों को किस प्रकार से कहाँ तक सहायता पहुँचाई जाय। उनके सामने जो पुस्तक थी, उससे हमारे छात्र उतने उपकृत नहीं हो पा रहे थे, जितना कि आवश्यक था।
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