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Shatrudriya Rudra Abhishek aur Prayog (शतरुद्रिय रुद्राभिषेक और प्रयोग)

40.00

Author Shri Kapildev Narayan
Publisher Chaukhamba Krishnadas Academy
Language Sanskrit Text Hindi Translation
Edition 2nd edition, 2019
ISBN -
Pages 48
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0411
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Description

शतरुद्रिय रुद्राभिषेक और प्रयोग (Shatrudriya Rudra Abhishek aur Prayog) शतरुद्रीय और रुद्राभिषेक में तीन शब्द प्रधान हैं। एक ‘शत’ दो ‘रुद्र’ और तीन ‘अभिषेक’। तीनों का अर्थ जानना आवश्यक है। क्योंकि निरुक्तकारों का कथन है कि-

स्थाणुरयं भारहारः किला भूदधीत्य वेदं न विजानाति योऽर्थम्।

योऽर्थज्ञ इत सकलं भद्रमश्नुते नाक मेति ज्ञानविधूत पाप्या।।

निरुक्तकारों का कथन है कि बिना अर्थ जाने जो वेद पढ़ता है वह भार ढोनेवाले जानवर के समान है। अथवा जनशून्य जंगल के उस आम्रवृक्ष के समान है, जो न स्वयं उस अमृतरस का स्वाद जानता है और न किसी अन्य को जानने का अवसर देता है। अतएव वेद के अर्थ का जानकार पूरे कल्याण का भागी होता है। ‘वेदः शिवः शिवोवेदः’ वेद शिव है और शिव वेद हैं। शिव और ‘रुद्र’ ब्रह्म के समानार्थक शब्द हैं। शिव को रुद्र इसलिये कहा जाता है कि ये ‘रुत्’ अर्थात् दुःखों के विनाशक है।

‘रुतम् दुःखम् द्रावयति नाशयतीति रुद्रः।’

रुद्र की श्रेष्ठता के बारे में रुद्र हृदयोपनिषद् में कथन है-

सर्व देवात्मको रुद्र सर्वे देवा शिवात्मकाः। रुद्रात्प्रवर्तते वीजं बीज योनिर्जनार्दनः।।

यो रुद्रः स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशनः। ब्रह्मविष्णुमयोरुद्र अग्निषोमात्मकं जगत् ।।

इसके अनुसार यह सिद्ध होता है कि रुद्र ही मूल प्रकृति पुरुषमय आदिदेव साकार ब्रह्म हैं। वेद विहित यज्ञपुरुष स्वयम्भू रुद्र है।

भगवान् रुद्र की उपासना के लिये वेद का सारभूत संग्रह रुद्राष्टाध्यायी ग्रन्थ है। जन कल्याण के लिये शुक्लयजुर्वेद से रुद्राष्टाध्यायी का संग्रह हुआ है। इसके जप, पाठ और अभिषेक आदि साधनों से भगवद्भक्ति, शान्ति, धन, धान्य की सम्पन्नता और सुन्दर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। वहीं परलोक में सद्गति और परमपद मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं परलोक में सद्गति और परमपद मोक्ष की प्राप्ति होती है। वेद के ब्राह्मण ग्रन्थों में, उपनिषदों में, स्मृतियों में, पुराणों में शिवार्चन के साथ ‘रुद्राष्टाध्यायी’ या शतरुद्री के पाठ, जप, अभिषेक आदि की महिमा के विशेष वर्णन हैं।

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