Shiv Rahasyam (शिवरहस्यम्)
₹170.00
Author | Ashok Kumar Gaud |
Publisher | Chaukhamba Surbharti Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2021 |
ISBN | - |
Pages | 432 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSP0865 |
Other | Dispatched in 3 days |
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शिवरहस्यम् (Shiv Rahasyam) दो अक्षरों से बना हुआ एक पूर्ण नाम शिव है। शिव शब्द की उत्पत्ति ‘वशकान्तौ’ धातु से हुई है। शिव शब्द के आकस्मिक उच्चारण करने मात्र से मनुष्यों के पापों का अन्त हो जाता है। इन्हीं भगवान् शिव का एक और प्रसिद्ध नाम हर है। व्याकरण शास्त्र के अनुसार हर शब्द ‘हृ’ धातु से निष्पन्न होता है।
सोलह-कलाओं से पूर्ण भगवान् श्रीकृष्णजी ने स्वयं शिवजी के विषय में यह कहा है- भगवान् शिवजी ही समस्त देवताओं में सर्वथा श्रेष्ठ तथा पूज्यनीय हैं। क्योंकि स्वयं मैंने उनकी घोर तपस्या पूर्वक उपासना करके भिन्न-भिन्न वरदानों को उनसे प्राप्त किया है। यजुर्वेद के श्री रुद्राध्याय में तो भगवान् शिवजी को ‘स्तेनानां पतिः’ और ‘तस्कराणां पतिः’ कहा गया है।
शिवजी में संहारक शक्ति विशेष रूप से व्याप्त है। इसी कारणवश वह इस संसार में सबसे प्रसिद्ध देव कहे जाते हैं। भगवान् शिव कल्याण स्वरूप विज्ञानानन्दघन वेदवेद्य परमात्मा हैं। वे स्वयं ही अपने ज्ञाता है। क्योंकि अनिवर्चनीय हैं तथा वे अकल हैं, मन तथा बुद्धि से अतीत हैं। क्योंकि शिवजी ही अपनी शक्ति के द्वारा संसार का सूत्रपात करते हैं। वहीं ब्रह्मा रूप से रचते हैं, वही विष्णुरूप से पालन करते हैं, वही रुद्र रूप से संहार करते हैं।
शिवजी के असंख्य स्वरूप हैं, शिवजी को जीव कदापि नहीं कहा जा सकता। महासमुद्र रूपी शिवजी ही एक अखण्ड परतत्व हैं, इन्हीं की अनेक विभूतियाँ अनेक नामों से पूजी जाती हैं, शिवजी ही सर्वव्यापक और सर्वशक्तिमान् हैं, यही व्यक्त- अव्यक्त रूप से क्रमशः सगुण ईश्वर और निर्गुण ब्रह्म कहे जाते हैं। यही परमात्मा, जगदात्मा, शम्भव, मयोभव, शङ्कर, मयस्कर, शिव, रुद्र, आदि नामों से सम्बोधित किये जाते हैं।
शिवजी की उपासना सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा आज के इस कलिकाल में होती चली आ रही है। शिवजी की गणना तीन सर्वश्रेष्ठ देवताओं में है। ये अपने आराधक के ऊपर अतिशीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें वर प्रदान करते हैं। इस विषय में अनेकानेक प्रमाण हमारे धर्मग्रन्थों में मिलते हैं। इन्हीं भगवान् शिवजी से सम्बन्धित ‘शिव रहस्यम्’ विद्या हिन्दी टीका तथा बसन्ती टिप्पणी से युक्त ग्रन्थ आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। मैंने इस ग्रन्थ में शिवजी से सम्बन्धित कर्मकाण्ड के उन सभी विषयों का समावेश किया है। जो आज तक किसी भी एक ग्रन्थ में विद्वानों एवं पाठकों को प्राप्त नहीं हो सकें।
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