Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-15%

Shodash Sanskar Vidhi (षोडश संस्कार विधि:)

81.00

Author Achary Devnarayan Sharma
Publisher Shri Kashi Vishwanath Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2023
ISBN 978-93-92989-20-9
Pages 120
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0212
Other Dispatched in 3 days

 

9 in stock (can be backordered)

Compare

Description

षोडश संस्कार विधि: (Shodash Sanskar Vidhi) भारतीय संस्कृति की संरचना में संस्कारों का शीर्षस्थ महत्त्व रहा है। ये हमारी सनातन संस्कृति के अभिन्न अङ्ग है। संस्कार शब्द सम् उपसर्ग पूर्वक ‘कृञ्’ धातु से ‘घञ्’ प्रत्यय जुड़कर निष्पन्न होता है। संस्कृत वाङ्मय में संस्कार का व्यापक अर्थों में प्रयोग हुआ है, जैसे- स्नान, अन्तः शुद्धि, पवित्रीकरण, आभूषण एवं वस्त्रों का मार्जन, शिक्षा, संस्कृति, धार्मिकविधि, भावना, धारणा, व्याकरण सम्बन्धी शब्द शुद्धि, अग्निस्थापनार्थ परिसमूहनादि, यज्ञाङ्गः प्रोक्षण, चमक, शोभा आदि। यहाँ जिस संस्कार की चर्चा की जा रही है वह है हमारे जीवन से सम्बन्धित अनुष्ठानों का समवाय। ये संस्कार मनुष्य के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आत्मिक शुद्धि के लिए किये जाने वाले आचार हैं। इसकी अनुष्ठान प्रक्रिया से ही मनुष्य की बाह्याभ्यन्तर की शुद्धि होती है, जिससे वह समाज का एक श्रेष्ठ आचारवान् नागरिक बन सके – ‘आत्मशरीरान्यतरनिष्ठोविहित क्रियाजन्योऽतिशयविशेषः संस्कारः’ । – वीरमित्रोदय पृ० २९१

संस्कारों के विविध पक्षों का विवेचन वेदों, धर्मसूत्रों, गृह्यसूत्रों एवं स्मृतिग्रन्थों में हुआ है। विधिपूर्वक संस्कारों के अनुष्ठान से व्यक्ति में विलक्षण गुणों का प्रादुर्भाव हो जाता है। संस्कार ही सनातन धर्म की आधारशिला है। यदि सनातन धर्म से संस्कारों को निकाल दिया जाय तो हमारा धर्म और संस्कृति श्रीहीन एवं रिक्त हो जायेगी। संस्कृति के निर्माण में भी इन संस्कारों की मुख्य भूमिका है। संस्कार से ही मानव जीवन में पवित्रता और सद्‌गुणों का समावेश होता है। व्यक्ति के जीवन के उन्नयन में सत्संस्कार, सद्विचार, सदाचार, माता- पिता एवं गुरु द्वारा प्राप्त शिक्षा, समुचित पोषण, शुद्ध आहार आदि की महती भूमिका एवं प्रभाव होता है। इन्हीं तत्त्वों से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। एक चरित्रवान् एवं सुयोग्य नागरिक बनने के लिए अपने माता, पिता, गुरु तथा इष्टदेव के प्रति श्रद्धा एवं समर्पण का भाव आवश्यक है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Shodash Sanskar Vidhi (षोडश संस्कार विधि:)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×