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Shri Haritalika Vrat Katha (श्री हरितालिका व्रत कथा)

25.00

Author Shri Ram Ji Sharma
Publisher Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd.
Language Hindi
Edition -
ISBN -
Pages 24
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SDPB0046
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Description

श्री हरितालिका व्रत कथा (Shri Haritalika Vrat Katha) पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और वह हमेशा भगवान शिव की तपस्या में लीन रहतीं थीं। यह देखकर पार्वती की सहेलियां उनका हरण करके उन्हें गहरे जंगलों में ले गईं। हरित का अर्थ है हरण करना और तालिका अर्थात सखी। इसलिए इस व्रत को हरितालिका तीज कहा जाता है।

हरतालिका (तीज) व्रत धारण करने वाली स्त्रियाँ-भादों महीने की शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन ब्राह्ममुहूर्त में जागें, नित्य कर्मों से निवृत होकर, उसके पश्चात् तिल तथा आँवलों के चूर्ण के साथ स्नान करें फिर पवित्र स्थान में आटे से चौक पूर कर केले का मन्डप बनाकर शिव पार्वती की पार्थिव – प्रतिमा (मिट्टी की मूर्ति) बनाकर स्थापित करें। तत्पश्चात् नवीन वस्त्र धारण करके आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर देशकालादि के उच्चारण के साथ हाथ में जल लेकर संकल्प रें कि मैं आज तीज के दिन शिव पार्वती का पूजन करूँगी इसके अनन्तर “श्री गणेशायनमः” उच्चारण करते हुये गणेशजी पूजन करें। “कलशाभ्यो नमः” से वरुणादि देवों का आवाहन करके कलश पूजन करें। चन्दनादि समर्पण करे, कलशमुद्रा दिखावे घन्टा बजावे जिससे राक्षस भाग जायँ और देवताओं का शुभागमन हो, गन्ध अक्षतादि द्वारा घंटा को नमस्कार करे, दीपक को नमस्कार कर पुष्पाचतादि से पूजन करे, हाथ में जल लेकर पूजन सामग्री तथा अपने ऊपर जल छिड़के।

इन्द्र भादि प्रष्ट लोकपालों का आवाहन एवं पूजन करे, इसके बाद अर्घ्य, पाद्य, गंगा जल, से भावमन करायें शंकर, पार्वती के गंगाजल से, दूध से, मधु से, दधि से घृत मे स्नान करा के फिर शुद्धजल से स्नान करावें। इसके उपरान्त हरेक वस्तु अर्पण के लिएॐ नमः शिवाय’ कहती जाय और पूजन करे। अक्षत, पुष्प धूप, तथा दीपक दिखावे। फिर नैवेद्य चढ़ाकर आचमन करावे, अनन्तर हायों के लिये उबटन अर्पण करे। सुपाड़ी अर्पण करे। दक्षिणा भेट करे। अनन्तर पुष्प माला चढ़ावे, व नमस्कार करे। इस प्रकार के पंचोपचार पूजन से श्री शिव हरितालिका की प्रसन्नता के लिये ही कथन करे। फिर उत्तर की ओर निर्माल्य का विसर्जन करके श्री शिव हरितालिका की जै जै कार महा-अभिषेक करे। इसके बाद सुन्दर वस्त्र समर्पण करे, यज्ञोपवीत धारण करावे। चन्दन अर्पित करे, अक्षत चढ़ावे। सप्तधान्य समर्पण करे। ईल्दी चढ़ावे कुंकुन मांगलिक सिन्द्र भादि चर्पण करे। ताद पत्र (भोजपत्र) कंठ माला भादि समर्पण करें। सुगन्धित पुष्प अर्पण करे, धूप देवे, दीप दिखावे, नैवेद्य चढ़ावे।

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