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Shri Krishna Prasang (श्रीकृष्ण प्रसङ्ग)

40.00

Author Dr. Gopinath Kaviraj
Publisher Bharatiya Vidya Prakashan
Language Hindi
Edition 1st edition, 2002
ISBN -
Pages 258
Cover Paper Back
Size 12 x 0.5 x 17 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0060
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Description

श्रीकृष्ण प्रसङ्ग (Shri Krishna Prasang) यह प्रसङ्ग किसी विशेष वैष्णव सम्प्रदाय के दृष्टिकोण से लिखित न होने पर भी किसी-किसी वैष्णव-साधक-सम्प्रदाय के भाव इसमें अवश्य हैं। यहाँ तक कि अवैष्णव दृष्टिकोण भी इसके अपरिचित नहीं है। जिनके व्यक्तिगत मनन के लिए इसका सङ्कलन हुआ था वे किसी विशेष सम्प्रदाय के अवलम्बी न होने पर भी सभी सम्प्रदायों के दृष्टिकोणों को समान श्रद्धा की दृष्टि से देखते थे। कहना न होगा, उन्हीं के भाव से भावित होकर मुझे लिखना पड़ा था।

ये प्रसङ्ग जब लिखे गये तब यह कल्पना मुझे व स्वामी जी को भी बिल्कुल नहीं थी कि बाद में कभी ये प्रकाशित होंगे। स्वामी जी जब तक रहे तब तक ये पुस्तिकायें उनकी साधना की नित्यसङ्गी रूप से साथ-साथ रहती थीं। सन् १९५९ में उनका देहावसान होने के पश्चात् ये उनकी भक्तमण्डली द्वारा यत्न-पूर्वक सुरक्षित कर दी गयीं। किन्तु सुरक्षित होने पर भी इनका भविष्य अनिश्चित समझ कर स्वामी जी के भक्त व मेरे अपार स्नेहभाजन स्वर्गीय डॉक्टर शशिभूषण दासगुप्त ने तब पुस्तिकायें मुझे सौंप देने की इच्छा प्रकट की। समय की स्थिति के अनुसार कुछ दिन बाद मैंने भी इसे उचित समझा। तदनुसार श्रीमान् सदानन्द इन पुस्तिकाओं सहित स्वामीजी का गेरुआ झोला मुझे दे गये। सदानन्द के अपने हाथ के लिखे कागज भी मेरे पास थे। एक वर्ष से कुछ अधिक समय तक ये मेरे पास आकर भी पड़े ही रहे।

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