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Shri Ram Yag Vidhi (श्रीराम याग विधिः)

81.00

Author Dr. Kailasha Chandra Dave
Publisher Chaukhambha Sanskrit Bhawan
Language Sanskrit
Edition 1st edition
ISBN -
Pages 96
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0446
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Description

श्रीराम याग विधिः (Shri Ram Yag Vidhi) यह अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि महामनीषी डॉ० कैलाशचन्द्र दवे ने “श्रीरामयज्ञ विधिः” का प्रणयनकर सनातनधर्म को समृद्ध किया है। वर्षों-वर्षों से इसकी नितान्त अपेक्षा थी। श्रीरामयज्ञ करने एवं करानेवाले इसके अभाव से पीड़ित थे। मुझे भी इसकी गम्भीर चिन्ता थी। भगवान विष्णु के अवतारों में सर्वश्रेष्ठ धर्मसंस्थापक अवतार श्रीराम का है। आदिकाव्य वाल्मिकीय रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम ने ग्यारह (११) हजार वर्षों तक धर्म का संस्थापन किया। इतना लम्बा काल किसी अन्य अवतार का नहीं है। इस लम्बे काल में एक क्षण भी धर्मसम्पादन से पृथक होकर नहीं बिताये। श्रीराम की पहली यात्रा ही महर्षिशिरोमणि विश्वामित्र के साथ बक्सर के लिये यज्ञ रक्षा निमित्त हुई थी।

सर्वश्रेष्ठ धर्मप्रतिपादक मीमांसा दर्शन में यज्ञ को ही धर्म का महत्तम स्वरूप बतलाया है। याग को परिभाषित करते हुए मीमांसा में वर्णित है। “देवतोद्देशेन द्रव्यत्यागः याग” ऐसी दशा में श्रीराम के साथ ही उनका यज्ञ भी अनादि रूप से प्रतिष्ठित होता है, तब यज्ञ विधि का अभाव क्यों? अस्तु वैदिकवर्य दवे जी इस कृति के लिये श्लाघ्यतम है। परम-प्रभु श्रीराम जी के चरणों में प्रार्थी हूँ। इनके दीर्घायुष्य तथा रचनात्मक जीवन के लिये।

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