Samajik Nyay Evam Dalit Sangharsh (समाजिक न्याय एवं दलित संघर्ष)
₹85.00
Author | Dr. Ram Gopal Singh |
Publisher | Rajasthan Hindi Granth Academy |
Language | Hindi |
Edition | 3rd edition, 2010 |
ISBN | 978-81-7137-819-7 |
Pages | 117 |
Cover | Paper Back |
Size | 13 x 1 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RHGA0002 |
Other | Book Dispatch in 1-3 Days |
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CompareDescription
समाजिक न्याय एवं दलित संघर्ष (Samajik Nyay Evam Dalit Sangharsh) परम्परात्मक समाज के आधुनिक समाज में रूपांतरण में सामाजिक न्याय एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है। अमेरिकी व पश्चिमी समाजों ने अपने सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक ढाँचों की रचना में स्वतंत्रता को मूलभूत तत्त्व माना है। परिणामस्वरूप इन समाजों में सामाजिक न्याय से तात्पर्य व्यक्ति-स्वातंत्र्य से है। इसके विपरीत चीन सहित साम्यवादी देशों का सामाजिक आर्थिक ढाँचां समानता के सिद्धान्त पर चुना गया है। इसलिये इन मुल्कों में सामाजिक न्याय का अर्थ वस्तुतः समानता की स्थापना है। भारतीय समाज के विशाल, विविध और बहुल स्वरूप को देखते हुये इसके ढाँचे की पुनर्रचना इनमें से किसी एक सिद्धान्त के आधार पर करना व्यावहारिक नहीं समझा गया। भारत में सामाजिक न्याय एवं विकास सम्बन्धी लक्ष्यों की प्राप्ति का मार्ग संवैधानिक सुधार के माध्यम से खुला रखा गया।
पुस्तक भारत में सामाजिक न्याय के ऐतिहासिक एवं संवैधानिक विकास-क्रम को रेखांकित करती है। यह रेखांकन सामाजिक न्याय के लिये दलित, पीड़ित एवं शोषित वर्ग द्वारा किये गये संघर्ष को केन्द्र में रख कर किया गया है। साथ ही, न्यायपूर्ण समाज की स्थापना में डॉ. अम्बेडकर एवं गाँधी के अवदानों पर भी प्रकाश डाला गया है।
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