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Srimad Bhagavd Gita Tattva Vivechani (श्रीमद्भगवतगीता तत्त्वविवेचनी)

300.00

Author Jai Dayal Goyenka
Publisher Gita Press, Gorakhapur
Language Hindi & Sanskrit
Edition 9th edition
ISBN -
Pages 949
Cover Hard Cover
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code GP0180
Other Code - 2296

 

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Description

श्रीमद्भगवतगीता तत्त्वविवेचनी (Srimad Bhagavd Gita Tattva Vivechani) भारतीय जीवन-दर्शनकी दृष्टिमें किसी ग्रन्थकी उपयोगिता अथवा उपादेयता इस बातपर निर्भर करती है कि वह मानव जीवनको परम लक्ष्यतक पहुँचानेमें कहाँतक सहायक है। इस दृष्टिसे विचार करनेपर ज्ञात होता है कि श्रीमद्भगवद्‌गीताका एकमात्र आश्रय ही मानवमात्रको लक्ष्यकी प्राप्ति करा देनेमें सबसे अधिक सहायक, उपयोगी तथा सबल साधनके रूपमें कसौटीपर खरा उतरता है।

भगवान् श्रीकृष्णकी दिव्यवाणीसे निःसृत सर्वशास्त्रमयी गीताकी विश्वमान्य महत्ताको दृष्टिमें रखकर इस अमर संदेशको जन-जनतक पहुँचानेके उद्देश्यसे गीताप्रेसने श्रीमद्भगवद्गीताके अनेक छोटे-बड़े संस्करण तथा विस्तृत टीकाएँ प्रकाशित की हैं। उनमें परमश्श्रद्धेय ब्रह्मलीन जयदयालजी गोयन्दकाद्वारा प्रणीत यह ‘तत्त्वविवेचनी’ गीताकी एक दिव्य टीका है। विगत कई वर्षोंसे श्रीमद्भगवद्गीता-तत्त्वविवेचनी हिन्दी टीकाके जिज्ञासु पाठकोंकी विशेष माँगपर अलगसे प्रकाशित श्रीमद्भगवद्गीता – पदच्छेद, अन्वय (कोड 17) के पदच्छेद और अन्वयको प्रकृत ग्रन्थमें यथास्थान समायोजित किया गया है। इसमें श्लोकोंके ठीक-ठीक अनुवादके साथ पदच्छेद और अन्वय दे दिये जानेसे इसकी उपयोगिता और भी बढ़ गयी है। इससे तत्त्वविवेचनी-प्रेमी पाठकोंको प्रत्येक श्लोकके प्रत्येक शब्दका अर्थ समझनेमें आसानी होगी।

इसमें गीताके श्लोकोंकी विस्तृत व्याख्याके साथ अनेक गूढ़ रहस्योंका सरल, सुबोध भाषामें सुन्दर प्रतिपादन किया गया है। इस प्रामाणिक, उपयोगी और लोकप्रिय ग्रन्थके अबतक अनेक संस्करण लाखों प्रतियोंके रूपमें निकल चुके हैं। मुद्रणकी आधुनिक प्रविधिद्वारा मुद्रित, ऑफसेटकी स्वच्छ, सुन्दर छपाईसे युक्त तथा सुन्दर, भावपूर्ण सोलह रंगीन चित्रोंके साथ यह विशेष संस्करण पाठकोंका ध्यान आकर्षित करते हुए गीताके पठन-पाठनकी ओर उन्हें प्रवृत्त करेगा। आशा है, गीता-प्रेमी पाठक और जिज्ञासुजन इस ग्रन्थके स्वाध्यायसे विशेष लाभ उठायेंगे।

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