Taitriya Brahman Set Of 3 Vols. (तैत्तरीयब्राह्मणम् 3 भागो में)
₹2,167.00
Author | Jamuna Pathak |
Publisher | Chaukhambha Sanskrit Series Office |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2021 |
ISBN | 978-81-7080-548-9 |
Pages | 1954 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0453 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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तैत्तरीयब्राह्मणम् 3 भागो में (Taitriya Brahman Set Of 3 Vols.) सम्पूर्ण तैत्तिरीय ब्राह्मण तीन काण्डों में विभक्त है। प्रत्येक काण्ड का विभाजनप्रपाठकों में हुआ है। इन प्रपाठकों को अध्याय नाम से भी अभिहित किया जाता है। इस ब्राह्मण के प्रथम और द्वितीय काण्ड में आठ-आठ प्रपाठक हैं तथा तृतीय काण्ड में बारह प्रपाठक है। इस प्रकार सम्पूर्ण ग्रन्थ अट्ठाइस प्रपाठकों में विभक्त है। प्रत्येक प्रपाठक का अवान्तर विभाजन अनुवाकों में किया गया है। प्रथम काण्ड के प्रथम प्रपाठक में दश, द्वितीय में छः, तृतीय में दश, चतुर्थ में दश, पञ्चम में बारह, षष्ठ में दश, सप्तम में दश और अष्टम में दश अनुवाक है। द्वितीय काण्ड के प्रथम प्रपाठक में ग्यारह, द्वितीय में ग्यारह, तृतीय में ग्यारह, चतुर्थ में आठ, पञ्चम में आठ, षष्ठ में बीस, सप्तम में अठारह और अष्टम में नौ अनुवाक है। तृतीय काण्ड के प्रथमप्रपाठक में छः. द्वितीय में दश, तृतीय में ग्यारह, चतुर्थ में उन्नीस, पञ्चम में तेरह षष्ठ में पन्द्रह, सप्तम में चौदह, अष्टम में तेइस, नवम में तेइस, दशम में ग्यारह, एकादश में दश और द्वादश में नौ अनुवाक है।
इस ब्राह्मण के प्रथम काण्ड में अग्न्याधान, गवामयन, वाजपेय, नक्षवेष्टि तथा राजसूय का निरूपण किया गया है। द्वितीय काण्ड में अग्निहोत्र, सौत्रामणि और बृहस्पतिसव इत्यादि सवों का विवेचन हुआ है। तृतीय काण्ड में नक्षत्रेष्टियों, पुरुषमेध के योग्य पशुरूप पुरुषों तथा अश्वमेध याग का वर्णन है। इसके साथ ही तृतीय काण्ड में सावित्राग्निचयन और नाचिकेताग्निचयन को निरूपित किया गया है जो अन्यत्र ब्राह्मणग्रन्थों में उपलब्ध नहीं होता। साम्प्रतम् भाष्यकार सायण और भट्टभास्कर के भाष्य के साथ तैत्तिरीयब्राह्मण के संस्करण प्रकाश में आये हैं जो संस्कृत माध्यम से इस ब्राह्मण के अध्ययन में महदुपयोगी हैं किन्तु हिन्दी भाषा के माध्यम से अध्ययन करने वाले अध्येताओं के लिए दुरूह हैं। अतः इदम्प्रथमता हिन्दी भाषा के माध्यम से अध्येताओं के लिए इस संस्करण का प्रकाशन किया जा रहा है। साथ में सायणभाष्य भी दिया गया है जिससे हिन्दी और संस्कृत दोनों भाषाओं के अध्येताओं के लिए यह संस्करण उपयोगी हो सके।
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