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Vangsen Samhita (वङ्गसेन संहिता)

935.00

Author Harihar Prasad Tripathi
Publisher Chaukhamba Sanskrit Series Office
Language Sanskrit Text and Hindi Translation
Edition 2023
ISBN 978-81-7080-301-0
Pages 1050
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSP0980
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Description

वङ्गसेन संहिता (Vangsen Samhita) प्राचीनकाल से ही भारत वनस्पतियों का देश रहा है। आज भी पर्वतराज हिमालय की उत्तुंग चोटियों पर जड़ी-बूटियों का विशाल भण्डार विद्यमान है। यहाँ के अतिरिक्त ऐसी दुर्लभ बनस्पतियों अन्यत्र कहीं नहीं पायी जातीं। ये सभी जड़ी बूटियाँ सद्यः गुणकारी सिद्ध होती हैं। जो गुण ताजी जड़ी-बूटियों में होते हैं, वे शुष्क वनस्पतियों में नहीं होते। पूर्वकाल में इन गुणकारी औषधों से परिचित होने तथा उनको गुणवत्ता को जानने के फलस्वरूप ऐसे व्यक्ति को ‘वैद्य’ को संज्ञा दो जाती थी। वे चिकित्सक इनके द्वारा चूर्ण, बटी या आसव बनाकर रोगियों पर व्यवहार किया करते थे। इन जड़ी-बूटियों को ग्रहण करने के लिए शुभ तिथि एवं मुहुर्त का विधान भी होता था। उस प्रकार का शुभ मुहूर्त आने पर इन औषधों को मंत्रोच्चारपूर्वक उत्पाटित किया जाता था।

आधुनिक युग में इन्ही वनस्पतियों को अब टेबलेट और कैपस्यूल के रूप में व्यवहत किया जाने लगा है। विदेशों में अब भारतीय वनस्पतियों पर कैंसर और रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) जैसे असाध्य रोगों के लिए, शोषपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं। अतः इससे यह सिद्ध होता है कि हमारे देश की वनस्पतियों में आस्था रखने के परिणामस्वरूप ही विदेशियों का झुकाव इस ओर बढ़ रहा है। आयुर्वेदिक औषधियों के द्वारा कोई भी रोग दुस्साध्य नहीं होता। नियमानुसार सेवित औषधों द्वारा नष्ट हुआ रोग पुनरावर्तित नहीं होता। यही इस औषध की विशेषता होती है।

प्रस्तुत ग्रन्थ ‘वङ्गसेन संहिता’ में दुर्लभ वनस्पतियों का अद्भुत संगम है। इसने औषध निर्माण-विधि के साथ-साव समस्त रोगोत्पत्ति के कारण, लक्षण तथा उनके विविध प्रकारों का भी विस्तृत रूप से उल्लेख किया गया है। पृथक् अध्याय के रूप में सभी रोगों की विशद् विवेचना की गयी है। स्थान मेदानुसार अप्रचलित शब्दों को कोष्ठक में भी दिया गया है, ताकि किसी प्रकार का संशय उत्पन्न न हो सके।

इसकी भाषा अत्यन्त सरल, सुबोध और परिमार्जित होने के फलस्वरूप इस ग्रंथ की उपयोगिता अत्यधिक बढ़ गयी है। पुस्तक के अंत में ग्रन्य रचयिता वंगसेन का औत्पत्तिक परिचय भी दिया गया है। आयुर्वेद जगत में यह ग्रंथ अनुपमेय सिद्ध होगा।

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