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Vedo Me Loka Kalyan (वेदो में लोक कल्याण)

255.00

Author Dr. Shri Kapil Dev Dvivedi
Publisher Vishv Bharti Anusandhan Parishad
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2021
ISBN 978-81-85246-78-9
Pages 215
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VBRI0022
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Description

वेदो में लोक कल्याण (Vedo Me Loka Kalyan) वेद आर्य जाति के प्राण-स्वरूप हैं। मनु महाराज का कथन है कि वेद सर्वज्ञानमय हैं। वेदों में अध्यात्म, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, विज्ञान और आयुर्वेद आदि के अतिरिक्त लोक-कल्याण सम्बन्धी सामग्री प्रचुर मात्रा में विद्यमान है। उसको ही इस ग्रन्थ में तीन भागों में विभाजन करके प्रस्तुत किया गया है।

प्रस्तुत ग्रन्थ वेदामृतम् का अन्तिम भाग है। इसमें ३८, ३९ और ४० तीन खण्ड हैं- खण्ड-१ विश्वकल्याण, खण्ड-२ राष्ट्रकल्याण और खण्ड-३ जनकल्याण है। विश्वकल्याण में विश्वकल्याण से सम्बद्ध विषय संस्कृति, सन्मार्ग और समृद्धि, कर्मङ्गता, प्रसन्नचित्तता, नीरोगता, सामंजस्य, सुख-शान्ति आदि विषय लिए गए हैं।

भाग २ में राष्ट्र के धारक तत्त्व सत्य और ऋत, राष्ट्र का स्वरूप और कर्तव्य अन्नादि की समृद्धि, राष्ट्र एक परिवार, सभा, समिति, राजा के कर्तव्य, पर्यावरण आदि विषय लिए गए हैं।

भाग ३ में विशेष उल्लेखनीय विषय हैं- जीवन-दर्शन, आत्मसाक्षात्कार, ज्ञान और कर्म का समन्वय, शिव-संकल्प, पुरुषार्थ, साधना, सत्य और श्रद्धा, मन की पवित्रता, दुर्गुणों को छोड़ना, कृषि, वर्ण-व्यवस्था, उद्योग-धन्धे, विविध शिल्प, राजा, स्वराज्य, सद्गुण अपनाना आदि विषय दिए गए हैं। साथ ही सम्बद्ध मंत्र भी दिए गए हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ में सभी लोक-कल्याणकारी तत्त्वों का विशद वर्णन दिया गया है। समाज और राष्ट्र की उन्नति को चाहने वाले सभी व्यक्तियों के लिए यह ग्रन्थ संग्रहणीय है।

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