Vedo Me Vigyan (वेदो में विज्ञान)
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Author | Dr. Shri Kapil Dev Dvivedi |
Publisher | Vishv Bharti Anusandhan Parishad |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 3rd edition, 2014 |
ISBN | 978-81-85246-58-1 |
Pages | 304 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VBRI0017 |
Other | Dispatched In 1-2 Days |
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वेदो में विज्ञान (Vedo Me Vigyan) वेद आर्यजाति के प्राण हैं। ये मानवमात्र के लिए प्रकाश स्तम्भ और शक्ति के स्रोत है। विश्व को संस्कृति का ज्ञान देने का श्रेय वेदों को है। वेद ही विश्वबन्धुत्व, विश्व-कल्याण और विश्वशान्ति के प्रथम उद्घोषक हैं। वेद ही मानवमात्र के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त करते हुए सुख और शान्ति की स्थापना कर सकते हैं।
वेदों के विषय में मनु का यह कथन सारगर्चित है कि ‘सर्वज्ञानमयो हि सः’ (मनु० २.७) अर्थात् वेदों में सभी विद्याओं के सूत्र विद्यमान हैं। वेदों में जहाँ धर्म, आचारशिक्षा, नीतिशिक्षा, सामाजिक जीवन, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, आयुर्वेद आदि से संबद्ध पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है, वहीं विज्ञान के विविध अंगों से संबद्ध सामग्री भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। वेदो में भौतिकी, रसायन-विज्ञान, वनस्पतिशास्त्र, जन्तुविज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, गणितशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, वृष्टिविज्ञान, पर्यावरण एवं भूगर्भविज्ञान से संबद्ध सामग्री बहुलता से प्राप्य है। प्रस्तुत ग्रन्थ में इन विषयों से संबद्ध सामग्री का ही आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
वेदो में विज्ञान-संबन्धी सामग्री कुछ विशेष सूक्तों में ही प्राप्य नहीं है, अपितु बहुत अधिक बिखरी हुई है। उनका विषयानुसार संकलन अतिक्लिष्ट कार्य है। मैंने प्रयत्न किया है कि उसको विषयानुसार संगृहीत किया जाय । सन्दर्भों की संख्या बहुत अधिक होने के कारण उनमे से विशेष महत्त्वपूर्ण सन्दर्भों को ही ग्रन्थ में लिया गया है। प्रयत्न किया गया है कि कोई विशेष महत्त्वपूर्ण तथ्य छूटने न पावे। प्रस्तुत ग्रन्थ में मैंने आयुर्वेद-विषयक सामग्री का संकलन नहीं किया है, क्योंकि इस विषय पर मेरा एक स्वतंत्र ग्रन्थ ‘वेदो में आयुर्वेद’ (१९९३) (वेदामृतम्, भाग १३ से १६) तीन सौ पृष्ठों का प्रकाशित हो चुका है। उसमें आयुर्वेद विषय का सर्वांगीण विवेचन प्रस्तुत किया गया है। साथ ही वेदो में वर्णित २८६ ओषधियों का विस्तृत विवरण भी दिया गया है।
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