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Vilas Panchakam (विलासपञ्चकम)

106.00

Author Acharya Madhusudan Shastri
Publisher Chaukhambha Krishnadas Academy
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2016
ISBN -
Pages 73
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0624
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Description

विलासपञ्चकम (Vilas Panchakam) जिसके ज्ञान से लोकोत्तर आनन्द मिलता है उस अयं के प्रतिपादक शब्द को काव्य कहते हैं, वह है विलासपश्चक माने १. आसफविलास, २. करुणविलास, ३. शाम्भविलास, ४. प्रास्ताविकविलास एवं ५. शृङ्गार- विलास। इसको भामिनीविलास भी कहते हैं। इस पश्चक में ३६५ पद्य है।

विलास शब्द के अनेक अर्थ हैं। उनमें आसफविलास में विलास का नवाब आसफ की प्रसन्नता अर्थ है। करुणविलास एवं शान्तविलास में बिलास वाब्द का अथ करुण एवं शान्त का ललित अभिनय है। प्रास्ताविकविलास में विलास शब्द का मनोरंजनतया मनोविनोद अर्थ है। शृङ्गार्शवलास में विलास शब्द का शृङ्गार का लालित्य एवं सोन्दर्य अर्थ है। प्रकृत में रायमुकुन्द माथुर की प्रार्थना से नवाब आसफ खान ने शाहजहाँ बादशाह से पं० जगनाय जी तैरङ्गको पण्डितराय की पदवी दिलवायी। उस पण्डितराय को ही आजकल पण्डितराज लिखते हैं। बस इस तथ्य को तथ्यरूप में बतलाना ही इस आसफविलास पुस्तक के लिखने का प्रधान प्रयोजन है, इस विलास में ४ पद्य है। बाकी गद्य है।

करुण एवं शान्त के विलासों के लिखने का प्रयोजन है पत्नी कामेश्वरी के मरने पर उसके वियोग से व्याकुल- हृदय को समझौवल बुझोवल के द्वारा बाश्वस्त करना। अतः ललित अभिनय कारक भावनाओं में कोत-प्रोत शब्दों में उनका लेखन हुआ है। यहाँ करुग में १६ ओर शान्त में ४४ पद्य हैं। प्रास्ताविकविलास के लिखने का मनोरथ स्वयं के व्यथित अवस्था में होने पर मन को रञ्जित करने के लिए, मन को विनोद प्रेरणा देने के वास्ते सुन्दर बाह्य वस्तुओं को प्रस्तुत करता ही है। इस बिलास में १२२ पद्य हैं।

शृङ्गारविलास लिखने का अपने लिए कोई उद्देश्य नहीं है, पर केवल जनसाधारण के लिए लालित्य एवं सोन्दर्य को प्रकाशित करना। इसीलिए विशेष रूप से शृङ्गार का वर्णन किया है। इसमें १७ पद्य है। इस विषय में यह बिलना बहुत जरूरी है कि शाहजहाँ की पदच्युति होने से अपने सह‌कारियों की शक्ति के विमष्टप्राय होने से अपने भी अशक्त हो गये।”

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