Vishnu Sahastranam Stotra (विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत्र)
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Author | Dr. Ashok Kumar Gaud |
Publisher | Rupesh Thakur Prasad Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2015 |
ISBN | 413-542-2392542 |
Pages | 128 |
Cover | Paper Back |
Size | 13 x 0.5 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0067 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत्र (Vishnu Sahastranam Stotra) जो शंख-चक्र-गदा-पद्मधारी और किरीट तथा कुण्डलों से विभूषित, पीताम्बर से सुशोभित, सुन्दर कमलों के समान नेत्रोंवाले, वनमाला तथा कौस्तुभमणि को धारण करने वाले सर्वव्यापक परमात्मा ही भगवान् श्रीविष्णु हैं। भगवान् श्रीविष्णु अत्यन्त दयालु हैं, वे अकारण ही जीवों पर करुणावृष्टि करते रहते हैं। उनकी शरण में जाने पर तो परम कल्याण हो ही जाता है। जो भक्त उनके नामों का कीर्तन, स्मरण, उनका दर्शन, वन्दन, गुणों का श्रवण और उनका पूजन करते हैं, वे ऐसे भक्त के सभी पाप-तापों को विनष्ट कर देते हैं।
वेदों में अनेक प्रकार से इनकी अनन्त महिमा का गान किया गया है। क्योंकि उन्हीं के उन्मेष और निमेष मात्र से संसार की उत्पत्ति तथा प्रलय होते हैं। वे निर्गुण भी हैं और सगुण भी तथा निर्गुण-सगुण दोनों से विलक्षण भी हैं। वे चराचर जगत् के सर्जक, पालक-पोषक, संहारक, षडैश्वर्य सम्पन्न, कर्तुमकर्तुमन्यथाकर्तुं समर्थ होते हुए भी अपने भक्तों की प्रार्थना सुनते आए हैं। जिसका किसी नाम आदि के द्वारा निर्देश नहीं किया जा सकता, जो सुप्रतिष्ठित एवं सबसे परे है, उस परात्पर ब्रह्म के रूप में साक्षात् श्रीविष्णु ही सबके हृदय में विराजित हैं। ये यज्ञ के स्वामी और यज्ञस्वरूप हैं। इन्हें परब्रह्म परमात्मा भी कहा जाता है। ये अनन्त हैं, इनके वाहन आदि असंख्य हैं, ऐसे अनन्त शक्तियों से सम्पन्न भगवान् श्रीविष्णु सभी के आराध्य व उपास्य हैं।
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र- ये चारों वर्णों के लोग इनके उपासक हैं। भगवान् श्रीविष्णु से सम्बन्धित यह ‘श्रीविष्णुसहस्त्रनामस्तोत्रम्’ आप सभी महानुभावों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। मुझे आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि इस पुस्तक के द्वारा इनकी उपासना विधिवत् की जा सकेगी।
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