Vrat Aur Tyohar (व्रत और त्यौहार)
₹50.00
Author | Dr. Hiramani Singh |
Publisher | Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd. |
Language | Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 256 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SDPB0007 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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व्रत और त्यौहार (Vrat Aur Tyohar) हमारे देश में व्रत-उत्सवों की परम्परा बहुत प्राचीन है, जिसका उन्मुक्त जीवन गान ‘धर्म’ सिन्धु’ तथा ‘निर्णय सिन्धु’ गाते हैं। इनका हमारे पूर्वजों के लिए बड़ा महत्व था। सच तो यह है कि ये व्रत-त्यौहार हमारे अतीत के धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक स्थितियों के दर्पण हैं, जिनमें तात्कालिक समग्र जीवन दर्शन रूपान्वित हो जाता है। जहाँ एक ओर इनमें हमें अपने प्राच्य मनीषियों की भाव- नाओं से सन्निकटता प्रतीत होती है वहीं दूसरी ओर पूर्व तथा आधु- निक संदभों को समीकृत करने पर निराश भी होना पड़ता है। इसका कारण आज की वैज्ञानिकता है पाश्चात्य प्रभाव से हमारा मानव समाज नास्तिकता के गर्त में डूबता जा रहा है। हमारा यज्ञ; होम, पूजा, संध्या विषयक धार्मिकता समाप्त होती जा रही है, तथा उसके स्थान पर आन्तरिक कलह, उत्पीड़न, द्वेष, हत्या जोरों से घर करती जा रही है। इस ग्रन्थ को लिखने का मेरा मुख्य आशय पौराणिक, धार्मिक परम्परा से जन-जीवन को जोड़ने का है।
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