Yajurved Subhashitavali (यजुर्वेद सुभाषितावली)
₹95.00
Author | Dr. Shri Kapil Dev Dvivedi |
Publisher | Vishv Bharti Anusandhan Parishad |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2018 |
ISBN | 978-81-85246-65-9 |
Pages | 199 |
Cover | Hard Cover |
Size | 12 x 1 x 18 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VBRI0001 |
Other | Dispatched In 1-2 Days |
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यजुर्वेद सुभाषितावली (Yajurved Subhashitavali)
यजुर्वेद का महत्त्व : वेद प्रभु की वाणी है। वेद ज्ञान के स्रोत हैं। वेदों में अनन्त ज्ञान भरा हुआ है। वे मानवमात्र के लिए प्रकाश स्तम्भ हैं। यजुर्वेद ज्ञान-प्रधान वेद है। मानव-जीवन यज्ञमय है। परमात्मा की पूरी सृष्टि यज्ञमय है। अतएव ब्राह्मण-ग्रन्थों में परमात्मा और मनुष्य को यज्ञ कहा गया है। (यज्ञो वै विष्णुः, पुरुषो वै यज्ञः)। परमात्मा के द्वारा सृष्टि-रचना यज्ञ है। मनुष्य के जीवन का प्रत्येक कार्य यज्ञ का अंग है। ‘इदं न मम’ (यह मेरा नहीं है) की भावना यज्ञ का शुद्ध रूप है। जीवन सभी दृष्टि से उन्नत, परिष्कृत और परिपुष्ट हो, यह यज्ञ का वास्तविक लक्ष्य है। अत एव यजुर्वेद में जीवन के सर्वाङ्गीण विकास की विधि प्रस्तुत की गई है।
सुभाषित-संकलन : प्रस्तुत संकलन में शुक्ल यजुर्वेद संहिता (वाजसनेयि-माध्यन्दिन शाखा) से २४३४ सुभाषित संग्रह किये गये हैं। सुभाषित ग्रन्थ के प्राण या सार होते हैं। इनमें सूत्ररूप में जीवन की विविध शिक्षाएं दी हुई हैं। ये स्मरणीय हैं। इनमें से कुछ सुभाषितों को भी जीवन में क्रियात्मक रूप में उतारने पर जीवन पवित्र और उन्नत होता है, मानव की सभी अभिलाषाएँ पूर्ण होती हैं तथा महासंकटों से उद्धार होता है। सुभाषित प्रकाश स्तम्भ हैं।
सुभाषितों का वर्गीकरण : समस्त सुभाषितों को विषय की दृष्टि से १४ भागों में बाँटा गया है। सुविधा के लिए इनके भी उपविभाग किये गये हैं। सारे सुभाषित विषयानुसार अकारादि-क्रम से दिये गये हैं। प्रत्येक विषय से संबद्ध सुभाषित उसी शीर्षक के अर्न्तगत दिये गये हैं। १४ शीर्षक ये हैं :- १. धार्मिक, २. आचारशिक्षा, ३. नीतिशिक्षा, ४. राजनीतिशास्त्र, ५. अर्थशास्त्रीय, ६. समाजशास्त्रीय, ७. राष्ट्रीय, विश्वकल्याण, ८. दार्शनिक, ९. आयुर्वेद, १०. विज्ञान, ११. मनोविज्ञान, १२. वनस्पतिशास्त्र, १३. प्राणिविज्ञान, १४. विविध।,
सन्दर्भ-निर्देश : सारे सुभाषित शुक्ल यजुर्वेद संहिता से लिए गए हैं, अतः प्रत्येक सुभाषित के आगे यजुर्वेद या यजु॰ नहीं लिखा गया है। सुभाषित के आगे दो संख्याएँ दी गई हैं, जैसे- १.२३, ४०.२ आदि। पहली संख्या अध्याय की सूचक है और दूसरी मंत्र की।
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