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Yudha Aur Shanti (युद्ध और शांति)

170.00

Author Osho
Publisher Diamond Pocket Books
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2022
ISBN 81-89182-71-4
Pages 288
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code DPB0044
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Description

युद्ध और शांति (Yudha Aur Shanti) गीता मनुष्य जाति का पहला मनोविज्ञान है, वह पहली “साइकोलॉजी” है। इसलिए उसके मूल्य की बात ही और है। अगर मेरा वश चले, तो कृष्ण को मनोविज्ञान का पिता मैं कहना चाहूंगा। वे पहले व्यक्ति हैं, जो दुविधाग्रस्त चित्त, “माइण्ड इन कांफिलक्ट”, संतापग्रस्त मन, खण्ड-खण्ड टूटे हुए संकल्प को अखण्ड और “इण्टिग्रेट” करने की कोशिश करते हैं। कहें कि वे पहले आदमी हैं, जो “साइको-एनालिसिस” का, मनस-विश्लेषण का उपयोग करते हैं। सिर्फ मनस-विश्लेषण का ही नहीं, बल्कि साथ ही एक और दूसरी बात का भी – “मनस-संश्लेषण” का भी, “साइको-सिंथेसिस” का भी।

गीता की यह अद्भुत कथा एक अंधे आदमी की जिज्ञासा से शुरू होती है। असल में इस जगत् में सारी कथाएं बंद हो जाएं, अगर अंधा आदमी न हो। इस जीवन की सारी कथाएं अंधे आदमी की जिज्ञासा से शुरू होती हैं। अंधा आदमी भी देखना चाहता है उसे, जो उसे दिखाई नहीं पड़ता; बहरा भी सुनना चाहता है उसे, जो उसे सुनाई नहीं पड़ता। सारी इंद्रियां भी खो जाएं, तो भी मन के भीतर छिपी हुई वृत्तियों का कोई विनाश नहीं होता है।

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