Kaal Patra (कालपात्र)
₹297.00
Author | Arun Kumar Sharma |
Publisher | Aastha Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 2021 |
ISBN | 978-93-84172-00-8 |
Pages | 325 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | AP00001 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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कालपात्र (Kaal Patra) भारतीय प्राचीन विद्याओं की संख्या लगभग चौंसठ मानी गयी है। जिनमें योग-तंत्र और ज्योतिष विद्या मुख्य है। इन तीनों विद्याओं के अन्तर्गत भी बहुत सारी विद्यायें हैं लेकिन मूल में देखा जाये तो तीनों विद्या एक दूसरे के पूरक हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो पूर्णतया एक दूसरे पर आध ारित हैं। किसी भी एक विद्या को सम्यक ज्ञान व अनुभव अन्य दो विद्याओं के सहयोग अथवा ज्ञान के बिना पूर्णता सम्भव नहीं है। अगर आप ज्योतिष विद्या का अध्ययन कर रहे हैं तो योग और तंत्र का भी अध्ययन आवश्यक है। इसी प्रकार तंत्र व योग साधना में भी ऐसा समझना चाहिए।
देखा जाये तो भारत के अलावा अन्य पश्चिमी देशों में हमारे इन तीनों विद्या पर गहन अध्ययन व शोध चल रहा है। यह निर्विवाद सत्य है कि योग-तंत्र और ज्योतिष विद्या इन तीनों शास्त्रों का स्थान विश्व साहित्य और संस्कृति में सर्वोच्च है। सभी प्रकार के धर्म, संस्कृति, उपासना, साधनाओं के मूल में आप इन तीनों शास्त्रों को पायेंगे किसी न किसी रूप में। वास्तव में योग-तंत्र और ज्योतिष गहन गम्भीर अन्तराल में छिपे गूढ़ तत्वों का रहस्योद्घाटन अनुकूल कर्म द्वारा सम्भव है। जहां तक देखा जाये ज्ञान और कर्म के योगायोग से विशिष्ट ज्ञान अर्थात प्रकृष्ट विज्ञान का उदय होता है। यही मूल विज्ञान है जिसके द्वारा लौकिक और पारलौकिक ज्ञान का उदय होता है।
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