Jatak Satyacharya (जातक सत्याचार्य)
₹90.00
Author | Dr. Gauri Shankar Kapur |
Publisher | Ranjan Publication |
Language | Hindi |
Edition | 1st edition, 2017 |
ISBN | 81-88230-16-2 |
Pages | 160 |
Cover | Paper Back |
Size | 13 x 1 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RP0057 |
Other | Dispatch In 1-3 days |
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CompareDescription
जातक सत्याचार्य (Jatak Satyacharya) इस पुस्तक में विशेष रूप से पठनीय विषय हैं – नक्षत्र सिद्धान्त, पंच सिद्धान्तों के नियम, भावफल, ग्रह कारकत्व और दशाफल। इस पुस्तक में ग्रहों का विभिन्न नक्षत्रों में स्थित होने का फल दिया गया है, जिसका ज्ञान किसी अन्य ज्योतिष ग्रन्थ में अप्राप्य है। भावफल और दशाफल विस्तृत रूप से दिया गया है। यह भी बताया गया है कि एक भावाधिपति का द्वादश भावों में स्थित होने से क्या फल होता है। इस प्रकार 144 (12×12) योगों के फलों का पूर्ण विवरण दिया गया है।
दशाफल के विचार को इतना अधिक महत्व दिया गया है कि लगभग आधी पुस्तक इसी सम्बन्ध में है। इतनी सूक्ष्मता और विस्तृत रूप से इस विषय पर किसी अन्य ज्योतिष ग्रन्थ में विचार नहीं किया गया है। इस पुस्तक में ग्रहों के नक्षत्रों, नवांशों, भावों, राशियों आदि में स्थित होने से जो फल होते हैं उनके विश्लेषणात्मक फलादेश करने का अनूठा तरीका बताया गया है। इस कारण यह पुस्तक ज्योतिष में नवीन प्रविष्ट पाठकों व ज्योतिष के धुरन्धर विद्वानों, दोनों के लिए अत्यन्त उपयोगी और ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगी। इस पुस्तक में फलित ज्योतिष के सिद्धान्तों और नियमों के सम्बन्ध में ऐसी अतुल्य सामग्री है जिससे ज्योतिष के पाठक अभी तक अपरिचित हैं। प्रत्येक ज्योतिष प्रेमी के लिए यह पुस्तक अत्यन्त ज्ञानवर्द्धक, मार्गदर्शक और उपयोगी प्रमाणित होगी।
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