Vichar Piyush (विचार पीयूष)
₹425.00
Author | Swami Karpatri Ji Maharaj |
Publisher | Shankar Dev Chaitanya Brahmachari |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 700 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | KJM0016 |
Other | Dispatched in 3 days |
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विचार पीयूष (Vichar Piyush) “सनातन धर्म के गूढ रहस्यों को सरलतापूर्वक समझना है तो धर्मसम्राट् स्वामी करपात्री जी महाराज के विचारों को ही आत्मसात् करना होगा।” – यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है। धर्मसम्राट् के विचार (सिद्धान्त) कुछ और नहीं वरन् सनातन वैदिक सिद्धान्त ही हैं। धर्मसम्राट् ने वैदिक सिद्धान्तों की मात्र व्याख्या ही नहीं की वरन् उन्हें अपने दैहिक जीवन के प्रत्येक क्षण में उतारा भी है।
धर्मसम्राट् स्वामी करपात्री जी महाराज के विचारों की प्रासंगिकता वर्तमान में तब और बढ़ गयी है जब समूचा विश्व कोरोना महामारी के प्रकोप से जूझ रहा है। धर्मसम्राट् ने जीवन-पर्यन्त जिन नियमों, सामाजिक रीति-रिवाजों, धार्मिक परम्पराओं के लिए संघर्ष किया, उन सभी सनातन मानविन्दुओं को कोरोना काल ने स्वतः स्थापित कर दिया है। अब इसे ईश्वरीय विधान कहिए या स्वयं स्वामीजी की तपश्चर्या का प्रभाव कि सम्पूर्ण मानव जाति अब उन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हो गयी है और इसके अतिरिक्त कोई भी मार्ग विश्व के समक्ष शेष नहीं रहा है।
दुःख का विषय यह है कि स्वामी जी के ये पवित्र विचार जो युगों-युगों तक मानवीय चेतना को जाग्रत रखने में सहायक रहे हैं, उनमें से अधिकांश आजतक लिपिबद्ध नही हो सके हैं। स्वामी जी के विचार जन-जन तक पहुँचाने के लिए आवश्यक है कि उनके विचारों का संकलन साहित्य के रूप में हो। इस बात की पीड़ा भी है कि आम जनमानस स्वामी जी के सम्पूर्ण साहित्य से अभी तक दूर है। अब चिन्तन इस बात का है कि अन्य उलझनों को छोड़, दृढ संकल्प के साथ पूज्य महाराजश्री के साहित्य का प्रकाशन कार्य यथाशीघ्र प्रारम्भ कर दिया जाए। इच्छाशक्ति भी स्वामी जी की अहैतुकि कृपा का ही परिणाम है।
इस पुनीत कार्य के लिए मेरा मात्र विचार ही था लेकिन इसे परिणत करने का पुरुषार्थ उज्जैन के मिश्र परिवार को जाता है, जिनके सप्रयासों से ‘विचार-पीयूष’ ग्रन्थ सर्वसामान्य के लिए सुलभ हो रहा है। पुस्तक की योजानबद्ध रूप से अभिकल्पना (परिकल्पना), टंकण, मुद्रण एवं अर्थव्यवस्था को मिश्र परिवार ने ही सँभाला है। हम भगवती माँ अन्नपूर्णा एवं बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना करते हैं कि उनका सर्वविध मंगल हो ताकि धर्मकार्य में उनकी अभिरुचि एवं सहयोग निरन्तर बना रहे।
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