Shakti Ka Jagran Aur Kundalini (शक्ति का जागरण और कुण्डलिनी)
₹127.00
Author | Gopinath Kaviraj |
Publisher | Vishvidyalaya Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 2016 |
ISBN | 978-81-7124-660-1 |
Pages | 208 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VVP0123 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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शक्ति का जागरण और कुण्डलिनी (Shakti Ka Jagran Aur Kundalini) पुण्यश्लोक महामहोपाध्याय डॉक्टर गोपीनाथ कविराज उन ऋषिकल्प ज्ञानी महापुरुषों में अग्रणी थे जिनका अवतरण सहस्राब्दियों बाद कभी-कभी हुआ करता है। उनमें पाण्डित्य परिपूर्ण भाव से विराजित था, वेद, शास्त्र, पुराण, आगम-निगम तथा तन्त्रादि का भारतीय वाङ्मय में जो विपुल विस्तार है वह सब का सब उनके चित्केन्द्र में एक जगह सिमट आया था। प्रशान्त महासागर की थाह लगायी जा सकती है परन्तु जो ज्ञान का सागर उनमें लहरा रहा था उसकी इयत्ता नहीं है। उनका पंचभौतिक शरीर तो अब तिरोहित है परन्तु अपनी अमूल्य कृतियों के रूप में वे अनन्त काल तक जीवित और साधकों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
अपने जीवनकाल में उन्होंने अनेक ग्रन्थों की रचना की जिनमें प्रायः सभी एक से एक बढ़कर हैं। कुछ कृतियों के नाम हैं- श्रीसाधना, तान्त्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि, भारतीय संस्कृति और साधना (२ भाग), तन्त्र और आगम शास्त्रों का दिग्दर्शन, अखण्ड महायोग आदि। हमारा विश्वास है कि कोई जिज्ञासु साधक या ज्ञान-पिपासु व्यक्ति उनकी किसी एक रचना को पढ़ने के बाद उन्हें भूल नहीं सकता। आत्मा, परमात्मा, जीव, जड़-चेतन, शिव- शक्ति, विश्व-ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति-स्थिति-संहार, भागवती शक्ति, चिच्छक्ति, आनन्द ब्रह्म, साधक के मार्ग में आनेवाली बाधाएँ, गुह्योपासना एवं अन्य रहस्य साधनाएँ-सभी विषयों पर उठने वाली शंकाओं का अबाध रूप से सहज समाधान कविराज जी की लेखनी ने अत्यन्त विनीत भाव से कर दिया है।
प्रस्तुत-ग्रन्थ ‘शक्ति का जागरण और कुण्डलिनी’ में अनेक भक्त जिज्ञासुओं द्वारा कविराजजी से समय-समय पर किये गये प्रश्नों के उत्तरः संगृहीत हैं।
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