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Yogirajadhiraj Sri Sri Vishuddhanand Paramhans (योगिराजाधिराज श्री श्री विशुद्धानन्द परमहंस)

255.00

Author Akshay Kumar Datt Gupta
Publisher Vishvidyalaya Prakashan
Language Hindi
Edition 2018
ISBN 978-81-7124-754-7
Pages 390
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VVP0124
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Description

योगिराजाधिराज श्री श्री विशुद्धानन्द परमहंस (Yogirajadhiraj Sri Sri Vishuddhanand Paramhans) महान् साधक रायबहादुर अक्षयकुमारदत्त गुप्त प्रणीत ‘योगिराजाधिराज श्री श्री विशुद्धानन्द परमहंसदेव’ का भाषानुवाद प्रस्तुत है। यद्यपि पहले भी इन महायोगी की जीवनगाथा प्रकाशित हो चुकी है तथापि उनके जीवन के अनछुए प्रसंगों का तथा उनकी जीवन-यात्रा के सामान्य क्षणों का जो हृदयस्पर्शी विवरण इस ग्रन्थ में है, उसका वैसा स्वरूप अन्यत्र दृष्टिगोचर नहीं होता। महान् लोगों के जीवन की एक छोटी से छोटी घटना भी जनसामान्य के लिए पथप्रदीप का कार्य करती है।

दिशाहारा व्यक्ति उसी से अपना मार्ग प्रशस्त कर लेता है। जैसे प्रकाश की एक सामान्य किरण भी वर्षों के छाये गहनान्धकार को क्षणार्ध में विदूरित करने में समर्थ रहती है, वैसे ही महापुरुष के जीवन की एक क्षुद्रतम घटना भी व्यर्थ नहीं होती तथा उससे भी मानव के हितार्थ सन्देश प्रसारित होता रहता है। यह निर्विवाद है।यह ग्रन्थ एक दैनन्दिनी (डायरी) के समान है। महापुरुष की नित्यप्रति की घटनाएँ इसमें सँजोई गयी हैं। वर्णन-शैली रोचक तथा भावपूर्ण है। यह निश्छल-निष्कपट भाव का तथा भक्तिपूर्ण हृदय का उद्‌गार है। इसलिए यह सार्वजनीन है, क्योंकि इस प्रकार के भाव सबके अन्तरतम का स्पर्श करते हैं, पाठक का संवेग भी लेखक के भाव में भावित तथा आकारित हो जाता है।

यही यथार्थ जीवनी की, ‘चरितकथा’ की कसौटी है।इस पावन ग्रन्थ के प्रकाशन में विश्वविद्यालय प्रकाशन के अधिष्ठातागण ने जिस उत्साह तथा तत्परता का प्रदर्शन किया उसके लिए वे साधुवाद के पात्र है। आशा है इस ग्रन्थ के भाषानुवाद के प्रकाशन से कर्म मार्ग का अनुसरण करने वाले साधकों का प्रभूत लाभ होगा।

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