Kathopnishad (कठोपनिषद)
₹850.00
Author | Osho |
Publisher | Divyansh Publications |
Language | Hindi |
Edition | 1st edition, 2021 |
ISBN | 978-93-89245-21-9 |
Pages | 382 |
Cover | Hard Cover |
Size | 16 x 3 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | DP0008 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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कठोपनिषद (Kathopnishad) उपनिषद जीवन के रहस्य के संबंध में इस पृथ्वी पर अनूठे शास्त्र हैं। कठोपनिषद उन सब उपनिषदों में भी अनूठा है। इसके पहले कि हम उपनिषद में प्रवेश करें, इस उपनिषद की अंतर-भूमिका समझ लेनी चाहिए। पहली बात, इस जगत में जो व्यक्ति भी जीवन को जानना चाहता है, उसे स्वयं ही मृत्यु से गुजरे बिना और कोई उपाय नहीं है। जीवन को जानना हो तो मरने की कला सीखनी पड़ती है। जो मृत्यु से भयभीत है, वह जीवन से भी अपरिचित रह जाता है। क्योंकि मृत्यु जीवन का गुह्यतम, गहन से गहन केंद्र है। केवल वे ही लोग जीवन को जान पाते हैं, जो सचेतन, होशपूर्वक, स्वागत से भरे हुए मृत्यु में प्रवेश कर सकते हैं।…
धर्म होशपूर्वक मरने की कला है। धर्म जानते हुए, समझपूर्वक मृत्यु में प्रवेश करने का विज्ञान है। और जो व्यक्ति होशपूर्वक मृत्यु में प्रवेश कर जाता है, उसके लिए मृत्यु सदा के लिए समाप्त हो जाती है। क्योंकि होशपूर्वक मरते हुए वह जानता है कि मैं मर ही नहीं रहा हूं। होशपूर्वक मरते हुए वह जानता है कि जो मर रहा है, वह मेरी देह है, शरीर है; वस्त्रों से ज्यादा नहीं। और जो मेरी अंतर-चेतना है, वह मृत्यु में भी प्रज्वलित है। मृत्यु की आंधी भी उसे बुझा नहीं पाती।
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु :
* होशपूर्वक मृत्यु में प्रवेश का विज्ञानं
* धर्म के आधार-सूत्र क्या है ?
* धर्म और नीति का भेद
* भय और प्रेम का मनोविज्ञान
* काम-ऊर्जा के रूपांतरण का विज्ञान
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