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Rachnanuvad Kaumudi (रचनानुवादकौमुदी)

127.00

Author Dr. Kapildev Dwivedi
Publisher Vishwavidyalay Prakashan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 48th edition, 2024
ISBN 978-81-7124-989-3
Pages 280
Cover Paper Back
Size 14 x 3 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code VVP0014
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Description

रचनानुवादकौमुदी (Rachnanuvad Kaumudi) इंग्लिश, जर्मन, फ्रेंच और रूसी भाषाओं में अपनाई गयी नवीनतम वैज्ञानिक पद्धति इस पुस्तक में अपनाई गयी है। संस्कृत भाषा के ज्ञान के लिए अनिवार्य सम्पूर्ण व्याकरण अनुवाद और अभ्यासों के द्वारा अति सरल और सुबोध रूप में समझाया गया है। ६० अभ्यासों में सम्पूर्ण आवश्यक व्याकरण समाप्त किया गया है। प्रत्येक अभ्यास में व्याकरण के कुछ विशेष नियमों का अभ्यास कराया गया है। नियमों को पूर्ण रूप से स्पष्ट करने के लिए उदाहरण-वाक्य दिये गए हैं। प्रत्येक अभ्यास में छात्रों से जो त्रुटियाँ प्रायः होती हैं, उनका निर्देश करके शुद्ध वाक्य बताये गये हैं। साथ ही नियम भी बताये गये हैं।

अभ्यास-प्रश्नों के द्वारा सैकड़ों नये वाक्य बनाने का अभ्यास कराया गया है। रिक्त-स्थलों की पूर्ति का अभ्यास, नए शब्दों से वाक्य-रचना का अभ्यास, अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करने का अभ्यास, सन्धि, समास तथा कृत् प्रत्ययों से रूप बनाने आदि का विशेष अभ्यास कराया गया है। प्रत्येक अभ्यास की विशेषता यह है कि एक अभ्यास के लिए केवल दो पृष्ठ दिए गए हैं। प्रत्येक अभ्यास की पंक्तियाँ गिनकर रखी गयी हैं। एक भी पंक्ति एक अभ्यास की दूसरे पृष्ठ पर नहीं जाती है। प्रत्येक अभ्यास दो भागों में विभक्त है। बायीं ओर- (१) शब्दकोष, (२) व्याकरण के नियम, (३) शब्दरूप, (४) धातुरूप, (५) सन्धि या समास आदि, (६) कृत् प्रत्ययों से शब्द बनाने के नियम आदि हैं। दायीं ओर – (१) उदाहरण-वाक्य, (२) अनुवादार्थ हिन्दी-वाक्य, (३) अशुद्ध वाक्यों के शुद्ध वाक्य, (४) अभ्यास (वचन-परिवर्तन, काल-परिवर्तन आदि), (५) वाक्य-रचना, (६) रिक्त-स्थलों की पूर्ति का अभ्यास आदि।

प्रत्येक अभ्यास में गिनकर २५ नए शब्द दिए गए हैं। उनका विशेष रूप से प्रयोग सिखाया गया है। अभ्यासों के पश्चात् (क) सभी आवश्यक शब्दों तथा धातुओं के रूप दिए गए हैं। (ख) १ से १०० तक की पूरी गिनती तथा महाशंख तक की संख्याएँ दी हैं। (ग) संक्षिप्त धातुकोष है, इसमें पुस्तक में प्रयुक्त सभी धातुओं के ५ लकारों के रूप हैं। (घ) कृत् प्रत्ययों से बने हुए रूपों का संग्रह। (ङ) आवश्यक सन्धि-नियमों का संग्रह है। संस्कृत में पत्र लिखना, प्रस्ताव, अनुमोदन आदि करना, व्याख्यान का प्रारम्भ करना, इसका ढंग उदोहरणों द्वारा बताया गया है।

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