Stuti Pushpanjali (स्तुति पुष्पाञ्जलि:)
₹76.00
Author | Acharya Devnarayan Sharma |
Publisher | Shri Kashi Vishwanath Sansthan |
Language | Sanskrit |
Edition | 2023 |
ISBN | 978-93-92989-30-8 |
Pages | 74 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0222 |
Other | Dispatched in 3 days |
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स्तुति पुष्पाञ्जलि: (Stuti Pushpanjali) स्तुति अथवा स्तोत्र साहित्य संस्कृत वाङ्मय की अक्षय निधि है। अनन्त करुणा सिन्धु परमात्मा के प्रति भक्तों के पवित्र अन्तः करण से निःसृत सुमधुर भावधारा ही स्तुति, स्तोत्र या प्रार्थना के नाम से अभिहित होता है। भक्त या साधक अपने आराध्य की मोहक छवि, उनकी रूप माधुरी, अपरिमित शक्ति, असीम महिमा का गायन करते हुए उनके कारुण्य, औदार्य, वात्सल्यादि गुणगणों को को अभिव्यक्त करता है तो वही स्तुति, स्तोत्र या प्रार्थना का रूप लेकर पाठकों के हृदय की गहराई तक उत्तर कर उसके जीवन को सुरभित बना देता है। इसमें भक्त हृदय की दीनता, अकिञ्चनता, असमर्थता आदि की मार्मिक अभिव्यक्ति होती है। यही दैन्य या कातरता स्तोत्रसाहित्य का प्राण है। संस्कृत का विशाल स्तोत्रसाहित्य इसका साक्षी है। यह साहित्य भक्तों और साधकों के जीवन का पाथेय है साथ ही परमात्मा की बाह्य उपकरण विहीन अर्चना भी। इसके लिए अन्य किसी भैतिक साधनों की अनिवार्यता नहीं होती। भगवत्पाद शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, पुष्पदन्ताचार्य, यामुनाचार्य, महर्षि बाल्मीकि, चैतन्यदेव, गोस्वामी तुलसीदास आदि अनेक आचार्य हैं जिनके द्वारा रचित स्तुतियों से संस्कृत का स्तोत्र साहित्य भरा पड़ा है। ये स्तोत्र भक्तों के लिए कण्ठहार सदृश हैं।
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