Shri Budhavar Vrat Katha (श्री बुधवार व्रत कथा)
₹20.00
Author | Shri Ram Ji Sharma |
Publisher | Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd. |
Language | Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 24 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SDPB0045 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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श्री बुधवार व्रत कथा (Shri Budhavar Vrat Katha) पश्चिम के वैज्ञानिक लोग जिन तिथ्यों को आज सत्य सिद्ध कर रहे हैं, उनको हमारे ऋषि-मुनियों ने वैदिक काल में ही समझ और जान लिया था। सम्पूर्ण संसार में अब वैज्ञानिक इस बात को मानने लगे हैं कि सूर्य, चन्द्रमा और अन्य सभी ग्रह हमारे जीवन, स्वभाव, कार्यकलापों और सफलताओं को प्रभावित करते हैं, किन्तु प्राचीन काल में ही हमारे ऋषि-मुनियों और ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों ने न केवल विभिन्न ग्रहों के इस प्रभाव को समझ लिया था, बल्कि उस ग्रह विशेष के प्रकोप को कम करने और उस ग्रह के देवता की विशिष्ट कृपा प्राप्त करने की विधियाँ भी खोज ली थीं। किसी भी ग्रह के कुपित होने पर उस ग्रह की शान्ति हेतु विशेष मन्त्र के जप, विशिष्ट वस्तुओं के दान, ग्रह के अधिपति देवता की पूजा और दिन विशेष को उस देवता के नाम पर व्रत रखने की सम्मति हमारे शास्त्र देते हैं। अतः इस भौतिकवादी युग में मन्त्र, जप, दान, पूजा एवं व्रत के महत्त्व को कम नहीं समझना चाहिए।
बुध ग्रह का महत्व
सभी ग्रह नक्षत्रों की तुलना में चन्द्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट और आकार में सबसे छोटा है, परन्तु चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, जबकि पृथ्वी सहित अन्य सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है। यही कारण है कि चन्द्रमा को उपग्रह कहा जाता है। सूर्य के बाद जीवन को चन्द्रमा सर्वाधिक प्रभावित करता है और अन्य ग्रहों में लगभग यही स्थिति बुध ग्रह की है।
सूर्य की परिक्रमा करने वाले ग्रहों में बुध सबसे छोटा है और साथ ही सूर्य के सबसे अधिक निकट भी है। इसका व्यास मात्र पाँच हजार एक सौ चालीस किलोमीटर है और सूर्य से दूरी भी केवल पाँच करोड़ बानवे लाख किलोमीटर है। छोटे आकार और सूर्य से कम दूरी के कारण प्रायः यह ग्रह स्पष्ट दृष्टिगोचर नहीं हो पाता। फिर भी सूर्योदय के समय पूर्व दिशा में और सूर्यास्त के समय पश्चिम दिशा में प्रयास करने पर आप इसके दर्शन कर सकते हैं। सूर्य के अत्यन्त निकट होने के कारण इसे सूर्य की परिक्रमा करने में मात्र अठ्ठासी दिन लगते हैं। इस कारण एक वर्ष में यह सूर्य की चार से भी अधिक परिक्रमा कर लेता है।
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