Jatak Alankar (जातकालङ्कार)
₹27.00
Author | Pt. Shree Ganesh Datt |
Publisher | Bharatiya Vidya Prakashan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2001 |
ISBN | - |
Pages | 68 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0430 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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जातकालङ्कार (Jatak Alankar) इस जातकअलङ्कार ग्रन्थ की रचना शकाव्द १५३५ में गणेश दैवज्ञ ने की थी। ज्योतिष शास्त्र में जातक-विययक ग्रन्थों की कमी नहीं है। परंतु गणेश दैवज्ञ प्रणीत प्रस्तुत ग्रंथ अनेक दृष्टियों से उनमें अपना विशिष्ट महत्त्व रखता है। यह बहुत ही स्पष्ट, बोधगम्य और प्रामाणिक है। यही कारण है कि फलित ज्योतिष के विद्वान् इसे आदर की दृष्टि से देखते हैं। मनुष्यों के लाभ और हानि, दीर्घ या अल्प आयु, ऐश्वर्य और दरिद्रता, इष्ट मित्रों, भाई-बन्धु, स्त्री-पुत्र, माता- प्रिता, भाई आदि स्वजनों से प्राप्य सुख-दुःख आदि फलों का निर्देश करने में इस ग्रन्थ में दिये हुए अकाट्य योगों से उन्हें अमूल्य महायता मिलती है।
इस ग्रन्थ में लेखक नं १२ भावों के बलावल-महित छः अध्यायों में, मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन में घटित होनेवाली बहुत-सी बातों का अत्यन्त विशद रूप से वर्णन किया है। फलित ज्योतिप के जिज्ञासुओं के लाभार्थ प्रस्तुत ग्रन्य अन्वय और सरल भाषा-टीका सहित प्रकाशित किया जा रहा है। टीका में इस बात का विशेष रूप से ध्यान रक्खा गया है कि उसकी भाषा शुद्ध, स्पष्ट और सरल हो, साथ हो उससे मूल ग्रन्थ में निषित विषयों का ज्ञान पाठकों को सम्यक रूप से हो जाय। अपने प्रयत्न में हम कहाँ तकः सफलता मिली है, इसका निर्णय पुस्तक के सहृदय पाठक ही कर सकत है।
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