Pancharatram (पञ्चरात्रम्)
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Author | Dr. Jagdeesh Chandra Mishr |
Publisher | Chaukhambha Sanskrit Series Office |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2023 |
ISBN | - |
Pages | 188 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0665 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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पञ्चरात्रम् (Pancharatram) “विमला’ पञ्चरात्र की व्याख्या है। अनुवाद एवं विचारविमर्श की दृष्टि से यह व्याख्या कहाँ तक उपयुक्त है। यह मैं अपने कृपालु सुधी समीक्षकों पर छोड़ता हूँ। किन्तु, इस सृष्टि-संरचना में जिन से मेरा सम्पर्क हुआ है. उनके सम्बन्ध में कुछ अवश्य कहना चाहूँगा। प्रत्येक देश और काल में देशान्तर या कालान्तर की भावनाओं एवं विचारों की अभिव्यक्ति के माध्यम में अन्तर रहा है। यह अन्तर तत्संबन्धी परिवेश एवं परिचरण के अन्तर के कारण ही रहा है। युगविशेष अथवा देश-विशेष का कोई भी कवि या विचारक जो कुछ सोचता विचारता है, उसे अपनी भाषा में लिपिबद्ध कर देता है। अपने ही देश में कालान्तर में जब उस भाषा को जानने वालों की कमी हो जाती है तब वह विचारराशि जन सामान्य के लिए दुर्लभ एवं अग्राह्य प्रतीत होने लगता है। उन्हें तथाकथित उक्त भाषा के माध्यम से उन विचारों का बोध ही नहीं हो पाता है। यह अबोधता की दीवार भाषा के कारण उत्पन्न होती है। भाषाजन्य इस व्यवधान को दूर करना ही विमला का मुख्य उद्देश्य है।
एक ही देश की दूर दूर सीमाओं में विभक्त मानवजाति, एक दूसरे के भावों और विचारों को निकट छाने के लिए एक दूसरे की भाषा के भावों और विचारों को अपनी भाषा के भावों या विचारों में लाना चाहती है। एक ही क्षेत्र में युगों से बसी मानवजाति भी अपने पूर्वजों के भावों और विचारों को समझने या जानने के लिए स्पष्टतया इसे अपनी वत्तंमान भाषा में लाने को इच्छुक रहती है। यह प्रक्रिया सफल होती है केवल एक ही माध्यम से जिसे हम अनुवाद या भाषान्तर को व्याख्या कहते हैं। वस्तुतः अनुवाद भावाभि-व्यक्ति को एक भाषा से दूसरी भाषा में रूपान्तरित करने की एक विशिष्ट कला हैं। पञ्चरात्र की परिनिष्ठित संस्कृत भाषा को सरल संस्कृत, हिन्दी में रूपान्त रित करने की विमला की क्षमता किस हद तक सफल हुई है, विचारणीय है।
‘विमला’ का कार्य भारत के पुरातन और वत्तंमान के बीच सम्बन्ध स्थापित करने की एक कड़ी की तरह है। ‘पञ्चरात्र’ में निहित भास के महाभारतीय भावों या विचारों के अतिरिक्त इसके आक्षितिज भारतीय संस्कृति के प्रसार तथा समृद्धि के लिए भी विमला की उपयोगिता स्पष्ट है।
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