Mantra Sagar (मन्त्र सागर)
₹127.00
Author | Dr. Rameshwar Prasad Tripathi |
Publisher | Jyotish Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2019 |
ISBN | - |
Pages | 352 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0137 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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मन्त्र सागर (Mantra Sagar) भारतीय संस्कृति के मूलाधार तन्त्रशास्त्रों में मन्त्रों की अद्भुतशक्ति विद्यमान है। जिस प्रकार एक छोटा-सा अंकुश द्वारा महाबलशाली मन्दोन्मत्त गजराज को भी अपने वश में करके उससे जो चाहे सब कुछ करा लेते हैं। उसी प्रकार कुशल साधक अपने विधि-पूर्वक यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र के अनुष्ठान द्वारा किसी बड़े-से-बड़े देवी-देवताओं को भी अपने वशीभूत कर जो चाहे सब- कुछ कराने की प्रबल मंत्रशक्ति प्राप्त कर लेता है। उसी का प्रधान अंगभूत प्रस्तुत पुस्तक भी है, जिसका नाम है ‘मन्त्र-सागर’ अर्थात् सभी यंत्र-मंत्र- तंत्रों का जिसमें एकत्र संग्रह है ऐसा एक विशिष्ट ग्रन्थ।
इसके लेखक हैं, तन्त्राचार्य डॉ० रामेश्वर प्रसाद त्रिपाठी ‘निर्भय’। आपके चिरकालीन घोर परिश्रम के साथ यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र सम्बन्धी बड़े-बड़े प्राचीन ग्रन्थ, जैसे-मन्त्रमहार्णव, मन्त्रमहोदधि, महानिर्वाणतन्त्र, धन्वन्तरि तन्त्र शिक्षा, यन्त्रचिन्तामणि, कामरत्न, साबरी तन्त्र, अघोरी तन्त्र, उड्डीश तन्त्र, गायत्री तन्त्र वशीकरण साधन आदि अनेक अप्राप्य प्रकाशित एवम् हस्तलिखित तन्त्र ग्रन्थों की खोजपूर्ण अन्वेषण एवम् संत-महात्माओं, विशेषकर रमलसम्राट् पण्डित बचानप्रसाद त्रिपाठी, जो कि आपके (दउआ) चाचा जी हैं, आदि महानुभावों से विशिष्ट ज्ञान प्राप्त कर, छान-बीन पूर्वक प्रस्तुत पुस्तक लिखने का ही सुपरिणाम है कि अनेकानेक प्रयोग विधि सहित यन्त्र-मन्त्र-तन्त्रों का एक प्रामाणिक एवं विशुद्ध सर्वोत्तम ग्रन्थ आपके हाथों में प्रस्तुत है।
इसमें शिवाशिव-सम्वाद, षट्कर्मों के नाम एवं उनकी व्याख्या, कलश विधान, शिवार्चन, काली, तारा, महाविद्या (त्रिपुरसुन्दरी), भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगला, मातंगी एवं कमला (लक्ष्मी)-इन दश महाविद्याओं के साधन प्रयोग, स्तोत्र, कवच, अष्टनायिका साधन, सभी प्रकार के यन्त्र-मन्त्र, मारण, मोहन, उच्चाटन, विद्वेषण, वशीकरण आदि षट्कर्मों तथा यक्षिणी आदि साधन प्रयोग, पञ्चदशी, यंत्र-मंत्र-विंशतियंत्र (बीसायंत्र) तथा पुत्रदाता सिद्ध यंत्र-मंत्र, सर्पादि विष झाड़ने के मन्त्र, नवग्रहों की शान्ति एवं उनके यन्त्र मन्त्रादि, तंत्रविज्ञान (टोटका-विज्ञान) आदि अनेकों विषय दिये गये हैं। इनम बहुत से सिद्ध यन्त्र-मन्त्र तो ऐसे हैं जो कि त्रिपाठी जी के अनुभूत, स्वयंसिद्ध हैं जिनको सिद्ध करके अनेकों साधकों ने अधिकाधिक लाभ उठाये हैं। इस विषय में श्री ‘निर्भय’ जी विश्व-विश्रुत एवं ख्याति प्राप्त विद्वान् हैं। वाराणसी, लखनऊ विशेषतः कानपुर के निवासी तो इन्हें भली भाँति जानते हैं। हमें पूर्ण विश्वास है कि तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र के जिज्ञासु पाठकों के लिए यह पुस्तक बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी।
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