Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.

Shri Satya Narayan Vrat Katha (श्रीसत्यनारायण व्रतकथा)

15.00

Author -
Publisher Gita Press, Gorakhapur
Language Hindi & Sanskrit
Edition 48th edition
ISBN -
Pages 16
Cover Paper Back
Size 21 x 14 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code GP0121
Other Code - 1367

12 in stock (can be backordered)

Compare

Description

श्रीसत्यनारायण व्रतकथा (Shri Satya Narayan Vrat Katha) श्रीसत्यनारायण-पूजन तथा कथा-श्रवण अत्यन्त पवित्र, पुण्यप्रद और समस्त मंगलोंको प्रदान करनेवाला है। बड़े ही उत्साह एवं श्रद्धा-भक्तिसे समन्वित होकर इसका अनुष्ठान करना चाहिये। इससे जीवनमें सत्यकी प्रतिष्ठा स्थापित होती है और भगवान्की विशेष कृपा भी प्राप्त हो जाती है। पूजन तथा कथा-श्रवण आदिके लिये किसी पवित्र स्थानमें, देवस्थानमें अथवा घरमें सुन्दर मण्डप बनाकर उसे अनेक प्रकारसे अलंकृत करना चाहिये। चारों ओर भगवान्के सुन्दर विग्रहोंको लगाना चाहिये। मण्डपके’ मध्यमें भगवान् सत्यनारायण (श्रीविष्णु भगवान् या शालग्रामशिला) के लिये एक सिंहासन लगाकर उसपर भगवान्के विग्रहको प्रतिष्ठित करना चाहिये। यथासम्भव केलेके स्तम्भोंसे मण्डपको मण्डित करना चाहिये और भगवती तुलसी देवी (तुलसी वृक्ष) को भी वहाँ स्थापित करना चाहिये।

भगवान् सत्यनारायणके पूजन तथा कथा-श्रवणसे पूर्व कार्यकी निर्विघ्नतापूर्वक सम्पन्नताके लिये प्रारम्भमें भगवान् गणेश-गौरी, कलश, नवग्रह आदिका पूजन भी करना चाहिये। अतः उसे भी यहाँ संक्षेपमें दिया जा रहा है। पूजनमें यथाशक्ति संक्षेप-विस्तार भी किया जा सकता है। सर्वप्रथम पूजन आदिकी समस्त सामग्रीको यथास्थान रख ले और पवित्र होकर पवित्र आसनपर पूर्व दिशाकी ओर मुख करके बैठ जाय, रक्षा-दीप जलाकर पूर्वाभिमुख रख ले।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Shri Satya Narayan Vrat Katha (श्रीसत्यनारायण व्रतकथा)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×