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Rigveda Subhashitavali (ऋग्वेद सुभाषितावली)

170.00

Author Dr. Shri Kapil Dev Dvivedi
Publisher Vishv Bharti Anusandhan Parishad
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2018
ISBN 978-81-85246-69-7
Pages 417
Cover Hard Cover
Size 12 x 2 x 18 (l x w x h)
Weight
Item Code VBRI0004
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Description

ऋग्वेद सुभाषितावली (Rigveda Subhashitavali)

ऋग्वेद का महत्त्व : वेद ईश्वर की वाणी है। वेद ज्ञान के स्रोत हैं। वेदों में अनन्त ज्ञान भरा हुआ है। वे मानवमात्र के लिए प्रकाश-स्तम्भ हैं। ऋग्वेद ज्ञान का विश्वकोश हैं। इसमें ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, ज्योतिष, आयुर्वेद, मनोविज्ञान आदि से संबद्ध अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सामग्री प्राप्त होती है। ऋग्वेद में ११५५२ मंत्र हैं। इसका विभाजन मंडल, सूक्त और मंत्र के रूप में हुआ है।

ऋग्वेद चारों वेदों का आधार स्तम्भ है। अन्य तीनों वेद ऋग्वेद से अनुप्राणित हैं। यजुर्वेद और अथर्ववेद में सैकड़ों मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं। सामवेद के १८७५ मन्त्रों में से १७७१ मंत्र ऋग्वेद से संगृहीत हैं। सामवेद में केवल १०४ मंत्र नए है। इस प्रकार ऋग्वेद चारों वेदों का शिरोभूषण है। ऋग्वेद में ऋचाएँ है। ऋचा का अर्थ स्तुति या प्रार्थना है। इसमें विभिन्न देवों की स्तुति है। यह ज्ञान और विज्ञान का आकर ग्रन्थ है। इसमें राजधर्म, दर्शन, आयुर्वेद और विज्ञान आदि का अनन्त भण्डार भरा हुआ है।

सुभाषित-संकलन : प्रस्तुत संकलन में ऋग्वेद संहिता (शाकल शाखा) से ५८७८ सुभाषित संग्रह किए गए हैं। सुभाषित, ग्रन्थ के प्राण या सार होते हैं। इनमें सूत्ररूप में जीवन की विविध शिक्षाएँ दी हुई हैं। ये स्मरणीय है। इनमें से कुछ सुभाषितों को जीवन में क्रियात्मक रूप में उतारने पर जीवन पवित्र और उन्नत होता है, मानव की सभी अभिलाषाएँ पूर्ण होती है तथा महासंकटों से उद्धार होता है।

सुभाषितों का वर्गीकरण : समस्त सुभाषितों को विषय की दृष्टि से २८ भागो में बाँटा गया है। सुविधा के लिए इनके भी उपविभाग किए गए हैं। सारे सुभाषित विषयानुसार अकारादि-क्रम से हिन्दी अनुवाद-सहित दिए गए हैं। प्रत्येक विषय से संबद्ध सुभाषित उसी शीर्षक के अन्तर्गत दिए गए हैं।

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