Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-15%

Antarveena Amrit Patro Ka Sangrah (अंतर्वीणा अमृत पत्रों का संग्रह)

424.00

Author Osho
Publisher Divyansh Pablication
Language Hindi
Edition 2023
ISBN 978-93-80089-10-2
Pages 186
Cover Hard Cover
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code DPB0067
Other Dispatched in 3 days

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

अंतर्वीणा अमृत पत्रों का संग्रह (Antarveena Amrit Patro Ka Sangrah) संसार की चिंता न करो। क्योंकि, स्वयं की चिंताएं ही क्या कम हैं? और, दूसरों के संबंध में मत सोचो। क्योंकि, अभी स्वयं के संबंध में ही सोचना कहां पूरा हुआ है ? धर्म का क्या होगा–यह सवाल असली नहीं है। स्वयं का क्या हो रहा है, यही सवाल असली है। और, ऐसी बातें मत पूछो, जिनसे तुम्हारी साधना का सीधा संबंध नहीं है। क्योंकि, ऐसी बातों का कोई अंत ही नहीं है, जब कि तुम्हारा अंत है। और, इसके पूर्व कि तुम्हारा अंत हो, उसे जान लेना जरूरी है, जिसका कि कोई अंत नहीं है।

ध्यान अक्रिया भी है और क्रिया भी। अक्रिया ऐसी कि जो क्रिया की विरोधी न हो। और, क्रिया ऐसी कि जिसके केंद्र पर अक्रिया हो। और, भीतर कर्ता का भाव न हो, तो यह चमत्कारपूर्ण स्थिति स्वतः ही फलित होती है। और, साक्षी की उपस्थिति कर्ता की अनुपस्थिति है। अपूर्व है आनंद–ध्यान का। अलौकिक है अनुभूति–आनंद की। जैसे सदा से बंद द्वार खुलते हैं। या जैसे अपरिचित अंधकार में, सदा से परिचित सूर्य का आगमन होता है। हृदय की कली अचानक फूल बन जाती है। और, प्राणों की अंतर्वीणा पर अनाहत नाद बजता है।

पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु :

क्या मौन में संवाद संभव है ?

स्वयं में होना ही स्वस्थ होना है

प्रार्थना और प्रतीक्षा

संकल्प के बिना जीवन स्वप्न है

प्रेम के मार्ग पर कांटे भी फूल बन जाते हैं

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Antarveena Amrit Patro Ka Sangrah (अंतर्वीणा अमृत पत्रों का संग्रह)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×