Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.

Anurag Padawali (अनुराग पदावली)

40.00

Author Shree Surdas Ji
Publisher Gita Press, Gorakhapur
Language Hindi & Sanskrit
Edition -
ISBN -
Pages 272
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code GP0168
Other Code - 864

9 in stock (can be backordered)

Compare

Description

अनुराग पदावली (Anurag Padawali) सूर-पदावलीका यह पाँचवाँ संग्रह ‘अनुराग-पदावली’ के नामसे सूर- काव्यके प्रेमियोंकी सेवामें प्रस्तुत किया जा रहा है। जैसा कि इसके नामसे ही प्रकट है, इस संग्रहमें केवल ऐसे पदोंका चयन किया गया है, जिनमें श्रीगोपांगनाओंके श्रीकृष्णविषयक अनुरागकी चर्चा की गयी है। इनमेंसे अधिकांश पदोंमें तो उन कृष्णानुरागिणी व्रजललनाओंके अनूठे प्रेमोद्‌गार ही सूरकी हृदयस्पर्शिनी वाणीसे प्रवाहित हुए हैं। एक-से-एक सरस एवं मार्मिक उक्तियाँ हैं, जिनका स्वाद उन्हें पढ़नेपर ही मिलता है। उनमें सूरदासजीने मानो उन ब्रजललनाओंका हृदय ही खोलकर रख दिया है। कुल साढ़े तीन सौसे कुछ ही कम पद हैं। इनमेंसे लगभग आधे पद तो गोपियोंके उन बड्भागी नेत्रोंको लक्ष्य करके कहे गये हैं, जो श्यामसुन्दरकी त्रिभुवनमोहन रूप-माधुरीपर न्योछावर हो गये हैं और रसलोभी भ्रमरकी भाँति सदा उसीपर मँडराते रहते हैं, एक क्षणके लिये भी वहाँसे हटते नहीं।

व्रजांगनाओंका कृष्ण-प्रेम अनुपमेय है, उसकी जगत्में कहीं तुलना नहीं है। उसे शब्दोंद्वारा चित्रित करके सूरदासजीने अपनी वाणीको अमर बना दिया है। विद्वान् अनुवादकने सरल भाषामें उसके मर्मको समझानेकी भरसक चेष्टा की है, जिससे पाठक पाठिकाओंको उसे हृदयंगम करनेमें यथेष्ट सहायता मिलेगी। फिर भी सूरकी भाषा अटपटी और भाव गूढ़ होनेके कारण अनुवादमें सम्भव है बहुत-सी भूलें रह गयी हों, जिनके लिये सहृदय पाठक हमें क्षमा करेंगे। कोई सज्जन उन भूलोंको बतानेकी यदि कृपा करेंगे तो अगले संस्करणमें उन्हें सुधारा जा सकता है। पाठ तथा अनुवादको ठीक करनेमें हमें व्रज साहित्यके सुविख्यात मर्मज्ञ पं० श्रीजवाहरलालजी चतुर्वेदीसे पर्याप्त सहायता मिली है। इससे पूर्वप्रकाशित संग्रहोंमें भी श्रीचतुर्वेदीजीने बड़ी सहायता की है, जिसके लिये हम उनके हृदयसे आभारी हैं। अन्तमें हम अपने इस क्षुद्र प्रयासको भगवान् नन्दनन्दनके पादपद्मोंमें अर्पित करते हैं, जिनकी अहैतुकी कृपासे ही हम सूर- साहित्यको यत्किंचित् प्रकाशमें लानेमें समर्थ हो सके हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Anurag Padawali (अनुराग पदावली)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×