Atma Niyantran (आत्म नियंत्रण)
₹350.00
Author | Ramnivas Sharma |
Publisher | Aum Jai Shree Sachidanand Publishing House |
Language | Hindi |
Edition | 2023 |
ISBN | 978-93-6076-754-9 |
Pages | 152 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0435 |
Other | आत्मा नियंत्रण : स्वयं को जाने स्वयं को पहचाने (जीवन दर्शन भाग-1) |
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CompareDescription
आत्म नियंत्रण (Atma Niyantran) ये जो हमारा और आपका शरीर है, ये सिर्फ एक हाड़ एवं माँस का ढाँचा नहीं है। यह एक अद्भुत स्थान है। यह एक मंदिर है। आपको बताऊगाँ कि सभी देवी-देवता का निवास स्थान इसी शरीर के अंदर है। वो कहाँ-कहाँ मौजूद है? क्या-क्या कार्य करते हैं। ये जो आत्म नियंत्रण (Self Management) के ऊपर पुस्तक है, यह सिर्फ एक किताब नहीं है बल्कि यह एक सोच है। जिसे आप कुछ शारीरिक व्यायाम (Physical warm up and Stretching exercises), कुछ आसन, कुछ प्राणायाम एवं ध्यान (Meditation) करके जान सकते हैं। इनको लगातार करने से आपके अंदर अद्भुत परिवर्तन आते हैं। यह सिर्फ आपको तनाव से ही मुक्त नहीं करता है बल्कि आपको जीवन भर शारीरिक एवं मानसिक (Physically and Mentally) रूप से स्वस्थ रखता है। आपको जीवन दर्शन करने में मदद करता है। आपको अपने आपको जानने में, समझाने में, पहचानने में, नियंत्रण (Handle) करने में तथा दूसरों को भी जानने, पहचानने, समझने में मदद करता है। आपको दूसरों के साथ कैसे और किस प्रकार का व्यवहार करना है, उसमें मदद करता है। यह आपको शांतिपूर्ण जीवन जीने में मदद करता है। जब आप शांत होते हैं, शांत रहते हैं तो सामने वाले का व्यवहार अपने आप ही सही होता चला जाता है। जब आप स्वयं के शरीर को मंदिर मानते हैं, अपने आप के शरीर में सभी देवी-देवताओं का निवास पाते हैं तो आप सामने वाले के शरीर में भी यही पाते हैं। इससे आपका व्यवहार भी सामने वाले के प्रति ऐसा ही होता चला जाता है। आप उससे उसी प्रकार व्यवहार करते हैं जैसे कि आप भगवान के सामने मंदिर में करते हैं।
हम लोगों की आदत में बदलाव इतनी आसानी से संभव नहीं है लेकिन असंभव को संभव बनाना ही ईश्वर का कार्य है और आप स्वयं ईश्वर हैं, भगवान हैं। हम लोगों को जो बातें बचपन से सिखाई गई हैं विभिन्न तरीकों से, दिखाई गई है खुली आँखों से, बाकी इन्द्रियों के द्वारा जो चीजें या बातें हम लोगों ने सीखा है इतनी वर्षों में, वो इतनी आसानी से जाने वाला नहीं है। जिद्दी दाग की तरह है वो लेकिन उसे साफ करना भी जरूरी है और उसको साफ करने का तरीका है ये आत्म नियंत्रण (Self Management) का यह पुस्तक एवं स्वअध्याय क्रिया का अभ्यास। इसे तीन महीनों तक सुबह शाम लगातार करने के बाद आप अपने आप में अंतर महसूस करेगें। आपका अपने आप ही ज्ञान प्राप्ति की ओर कदम बढ़ने लगेगा। हमें जो हमारा नाम दिया गया है, जिस नाम के साथ हमारा अस्तित्व जुड़ा हुआ है वो माता-पिता का दिया हुआ है। हमें जो समाज में हैसियत (Status) दिया गया है जात-पात, धर्म नौकरी इत्यादि के स्वरूप में, जिसके साथ हमारा अहंकार जुड़ा हुआ है वो समाज का दिया हुआ है। इन सबको त्यागना मुश्किल है लेकिन जब तक हम इसे नहीं त्यागेंगे तब तक हम अपने आपको और दूसरों को नहीं समझ पायेंगे।
इस पुस्तक को बोलचाल की भाषा में लिखा गया है ताकि पाठक इसे पढ़कर अपने आपको विषय के साथ जोड़कर आसानी से सामंजस्य बैठा सकें तथा स्वयं को जान सकें। इस पुस्तक को दो भागों में विभाजित किया गया है। प्रथम भाग में आपको अपने बारे में तथा सांसारिक बातों को जानने का सौभाग्य प्राप्त होगा तथा द्वितीय भाग में आप अपने आप को और बेहतर तरीके से कैसे जान पायें उसके बारे में बताया गया है।
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