Ayurvediya Kriya Sarira Vol. 2 (आयुर्वेदीय क्रिया शरीर भाग-2)
₹506.00
Author | Dr. Yogesh Chandra Mishr |
Publisher | Chaukhamba Publications |
Language | Hindi |
Edition | 2022 |
ISBN | 978-9863214-019 |
Pages | 897 |
Cover | Paper back |
Size | 14 x 3 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSS0175 |
Other | Recemended Book for BAMS 1st Year Students |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
आयुर्वेदीय क्रिया शरीर भाग 2 (Ayurvediya Kriya Sarira Vol. 2) जिन व्यक्तियों ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को अपने जीवन लक्ष्य के रूप में चयन किया है उनके लिये शरीर के विभिन्न अंगो-उपाङ्गों के गुण कर्म से पूर्णतया परिचित होना आवश्यक है। इनकी प्राकृत अवस्था (Normalcy) ही स्वास्थ्य है और इससे विचलन (Diversion) रोग या अस्वास्थ्य है। जीवन की सुव्यवस्था (Easiness) से प्रथक् होना (Dis) को Disease अथवा अस्वास्थ्य के रूप में परिभाषित किया जाता है और इस Dis अथवा ‘अ’ को हटाना ही आयुर्वेद का ध्येय है। शरीर क्रिया विज्ञान, विभिन्न शारीरिक घटकों (कोशिका, धातु, अङ्ग, संस्थान आदि) तथा आन्तरिक एवं बाहा अंगों की जानकारी प्रदान कर उनको समान्य स्थिति में रखने हेतु हमारा ध्यान आकर्षित करता है। अपने देश में विगत २५०-३०० वर्षों के कालमें राजनैतिक कारणों से सामाजिक एवं शिक्षा का स्वरूप भी प्रभावित हुआ है।
संस्कृतको अब यहाँ पिछड़ेपन की निशानी तथा केवल पौरोहित्यकी भाषा के रूपमें प्रचारित किया गया। वैदिक एवं पौराणिक साहित्यको व्यर्थ की बकवास तथा कोरी गप्प मानकर उसका अध्ययन अध्यापन निरर्थक समझा गया। आयुर्वेदका प्राचीन तथा मध्यकालीन साहित्य तथा उनपर विवेचनात्मक टीकायें संस्कृत भाषामे ही उपलब्ध है। चरक, सुश्रुत, काश्यप, वाग्भट आदि के प्राचीन ग्रन्थ, योगरत्नाकर, माधवनिदानम्, शाङ्गधरसंहिता, भावप्रकाश आदि प्रसिद्ध ग्रन्थोंकी मालिकाको इस सन्दर्भमें उद्धृत किया जा सकता है। यद्यपि प्राचीन भारतीय परम्परामें वर्तमान विषयानुसार अध्ययन की परम्परा नहीं थी तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा से सम्बन्धित सभी क्षेत्रों की सामग्री प्रत्येक ग्रन्थ में इतस्ततः विकीर्ण रूप में उपलब्ध है किन्तु प्रायः प्रत्येक ग्रन्थ आयुर्वेद की विशेष शाखा का पक्ष प्रस्तुत करता है। उदाहरण के लिये जहां चरकसंहिता कायचिकित्सा के लिये प्रसिद्ध है तो सुश्रुत संहिता शल्यशास्त्र तथा काश्यपसंहिता में बालरोग एवं प्रसूति तन्त्र से सम्बन्धित सामग्री प्रचुरता से उपलब्ध होती है। भैषज्यरत्नावली औषधि निर्माण क्षेत्र का अधिकृत ग्रन्थ है तो भावप्रकाश औषधियों के गुणकर्म विज्ञान का विशेष ग्रन्थ है। शरीरक्रियाविज्ञान की सामग्री भी सभी प्राचीन ग्रन्थों में सूत्र रूप में उपलब्ध हैं।
Reviews
There are no reviews yet.