Brahmasutra Set of 5 Vols. (ब्रह्मसूत्र 1-5 भागो में)
₹2,251.00
Author | Yativar Shree Bholebaba |
Publisher | The Bharatiya Vidya Prakashan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2022 |
ISBN | 978-93-91512-59-0 |
Pages | 2559 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0410 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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ब्रह्मसूत्र 1-5 भागो में (Brahmasutra Set of 5 Vols.) यह जानकर हमें बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि महर्षि वेदव्यासप्रणीत ब्रह्मसूत्र (शारीरकमीमांसादर्शन अथवा उत्तरमीमांसादर्शन) जगद्गुरु भगवत्पूज्यपादशङ्कराचार्य के शारीरकमीमांसाभाष्यसहित पुनः प्रकाशित हो रहा है। भाष्यरत्नप्रभा शाङ्करभाष्य की व्याख्याओं में सबसे अधिक सुगम मानी जाती है और फिर उसका यतिप्रवर भोले बाबा विरचित भाष्यरत्नप्रभा भाषा (हिन्दी) अनुवाद हिन्दी पाठकों के लिए और भी अधिक स्पृहणीय है। इन सभी का एक साथ प्रकाशित होना हमारे लिए वस्तुतः बड़े हर्ष का विषय है। भारतीय विद्या प्रकाशन एवं इसके अधिष्ठाता श्री किशोरचन्द्र जी जैन वस्तुतः इस प्रकाशन के लिए बधाई के पात्र हैं।
इसका चिर प्रवीक्षित प्रकाशन हमारे लिए, विशेषत: भारतीय दर्शन के जिज्ञासुओं के लिए अत्यन्त उपादेय सिद्ध होगा-इसमें कोई सन्देह नहीं है। हमारी ज्ञान-विज्ञान की परंपरा का मूल वैदिक साहित्य है। वेदों का अंतिम भाग या सार उपनिषद हैं। इन्हें मूलतः वेदांत कहा जाता है। वे महर्षि वेदव्यास (महाभारत के भीष्म पर्व के अंतर्गत) द्वारा श्रीमद्भगवदगीता और ब्रह्मसूत्र या वेदांत सूत्र या शारिकामीमांसादर्शन या उत्तरमीमांसादर्शन में दी गई सुनियोजित, व्यवस्थित व्याख्या हैं। इस प्रकार, वेदांत दर्शन के तीन प्रस्थान (प्रस्थानत्रयी) या आधार उपनिषद, भगवद गीता और ब्रह्म सूत्र माने जाते हैं। भगवद्गीता के संबंध में व्यक्त ‘दुग्धम गीतामृतम् महत्’ की उत्पत्ति ब्रह्म सूत्र के संबंध में भी उसी प्रकार लागू होती है। अंतर यह है कि जहां भगवद गीता लोकप्रिय शैली है, वहीं ब्रह्म सूत्र उपनिषदों के रहस्यों को विद्वतापूर्ण, गंभीर शैली में व्यक्त करते हैं – सूत्र शैली में। सच तो यह है कि संपूर्ण प्रस्थान त्रयी एक दूसरे की पूरक है।
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