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Brihad Vastu Mala (बृहदवास्तुमाला)

340.00

Author Brahmanand Tripathi
Publisher Chaukhamba Surbharati Prakashan
Language Sanskrit Text With Hindi Translastion
Edition 2018
ISBN 97-89382443186
Pages 250
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSP0162
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Description

बृहदवास्तुमाला (Brihad Vastu Mala) गृहनिर्माण सम्बन्धी बातों को जानने के लिये सर्वसाधारण को आवश्यकता है। प्राचीन ग्रन्थों में इसकी चर्चा और संक्षिप्त बातें मिलती है; किन्तु सबका संग्रह एकत्र मिल जाय, इस प्रकार की पुस्तक आज तक कोई देखने में नहीं आई, इसलिये मेरे अनेक मित्रों ने अनुरोध किया कि वास्तु-सम्बन्धी सब विषयों का संग्रह प्रमाणसहित एकत्र प्रकाशित हो जाय तो विद्वानों को बड़ी सुगमता होगी। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिये मैंने बहुत ही परिश्रम से ऋषिप्रणीत अनेक ग्रन्थों को एकत्रित कर यह अद्वितीय ग्रन्थ तैयार किया है। इस पुस्तक को लिखते समय जहाँ-जहाँ विवादग्रस्त (मतभेद) बातें आ पड़ी है, उसके लिये काशी के सुप्रसिद्ध विद्वान् गुरुवर ज्यौ० पं० रामरत्न ओझाजी, प्रधान ज्यौतिषशास्त्राध्यापक हिन्दू विश्वविद्यालय तथा जगद्विख्यातकीर्ति गुरुवर ज्यौ० पं० हृषीकेशोपाध्याय जी, प्रधानगणितशास्त्राध्यापक गवर्नमेण्ट संस्कृत कालेज-बनारस, दोनों महानुभावों के निर्णय द्वारा लिखी गई है।

किस स्थान पर गृह बनाना चाहिये अर्थात् भूमिशोधन की सभी बातें-मकान के किस भाग में कितने दूर पर जलाशय आदि को रहना चाहिये, गजपृष्ठ, कूर्मपृष्ठ आदि का लक्षण, पिण्ड-निर्माण, ऋषियों के मत से दकार्गल, वृक्षायुर्वेदाध्याय, मण्डलेश, सिद्धपिण्ड और पिण्डसारिणी, शिलान्यास आदि का मुहूर्त, चरणी-विचार, अनेक प्रकार के चक्र, देवमन्दिर-निर्माण का विचार- सभी बातें अनेक ग्रन्थों में सप्रमाण दी गयी हैं और सर्वसाधारण इस विषय को समझ सके, इसलिये सरल हिन्दी भाषा में समस्त श्लोकों का अनुवाद उदाहरण सहित लिख दिया गया है तथा अन्त में शिलान्यास, वास्तुशान्ति-सम्बन्धी समस्त विधि स्वर्गीय महामहोपाध्याय पं० प्रभुदत्तजी अग्निहोत्री के पुत्र विख्यात कर्मकाण्डी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय धर्मविज्ञान विभाग के अध्यक्ष पं० श्रीविद्याधरजी की कृपा से प्राप्तकर उसका भी सत्रिवेश कर दिया गया है। परिशिष्ट में पिण्डानयन की उपपत्तियाँ भी दे दी गई हैं; जिनकी उपपत्तियाँ नहीं दी गई हैं, वे उपपत्तियाँ इन्हीं उपपत्तियों से सिद्ध होती हैं।

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