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Buddha Charitam Vol.1 (बुद्धचरितम प्रथमः भाग)

127.00

Author Dr. Shri Kant Pandey
Publisher Chaukhambha Sanskrit Series Office
Language Hindi & Sanskrit
Edition 2015
ISBN 978-81-7080-126-5
Pages 190
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0588
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Description

बुद्धचरितम प्रथमः भाग (Buddha Charitam Vol.1) बुद्धचरित एक महाकाव्य है; जिसमें महाकवि अश्वघोष ने अत्यधिक संयम के साथ भगवान् बुद्ध का समस्त जीवन वर्णित किया गया है। यह महाकाव्य, अपने मौलिक रूप में, २८ सर्गों में था; जैसा कि ईसा की सप्तम शताब्दि में चीनी यात्री इत्सिंग को भी चीनी अनुवाद में विदित था। तिब्बती अनुवाद में भी इसके इतने ही सर्ग हैं। इस से यह सिद्ध होता है कि इस महाकाव्य के मौलिक संस्कृत रूप में भी इतने (२८) ही सर्ग रहे होंगे। इन अट्ठाईस सर्गों में से आज मूल संस्कृत भाषा में केवल चौदह (१४) सर्ग (के ३१वें श्लोक) तक ही उपलब्ध हैं और सुरक्षित हैं। प्रथम सर्ग के आरम्भ में सात श्लोक भी अपने मूल रूप में उपलब्ध नहीं हैं।

इत्सिंग महोदय ने अपने यात्रावर्णन में लिखा है कि उन के समय में यह मनोरम काव्य भारतवर्ष के पाँचों भागों में तथा दक्षिणी समुद्र के तटवर्ती देशों में सर्वत्र श्रद्धा एवं तन्मयता के साथ पढ़ा-सुना एवं गाया जाता था। इस महाकाव्य में भगवान् बुद्ध के जीवन का और उपदेशों का ही सर्वोत्तम वर्णन नहीं है, अपि तु महाकवि ने इस में यथाप्रसङ्ग भारत की पौराणिक परम्पराओं के सम्बन्ध में अपने विश्वकोष के समान अगाध ज्ञान तथा प्राग्बुद्ध- कालिक दार्शनिक मतवादों, विशेषतः साङ्ख्यदर्शन के सम्बन्ध में भी अपनी बहुज्ञता का परिचय दिया है। (इस प्रसङ्ग पर हम अनुपद में ही कुछ अधिक विस्तारपूर्वक लिखेंगे।)

युवान च्वांग ने अपने यात्रावर्णन में तत्कालीन विश्व को प्रभासित करने वाले चार सूर्यों का उल्लेख किया है; वे हैं-१. अश्वघोष, २. नागार्जुन, ३. कुमारलब्ध (कुमारलात) एवं ४. आर्यदेव। वास्तविकता भी यही है, एक विचारक विद्वान् के रूप में अश्वघोष जैसे विरले ही महापुरुष हुए हैं। इन से तुलना करने वाला विद्वान् सन्त ‘भारतीय दर्शन एवं इतिहास में अन्य कोई सुगमता से मिलना अतिकठिन है। अस्तु।

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