Chamatkar Chintamani (चमत्कारचिन्तामणिः)
₹36.00
Author | Pt. Hiralal Mishr |
Publisher | Chaukhamba Krishnadas Academy |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2023 |
ISBN | - |
Pages | 46 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0299 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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चमत्कार चिन्तामणिः (Chamatkar Chintamani) ज्योतिषशास्त्र के तीनों स्कन्ध वेदाङ्गों में अपना विशेष महत्व रखते हैं। भगवान् के महत्वपूर्ण चाक्षुषांग के कारण शास्त्रकारों ने इसका विशेष आदर किया है। चक्षु विहीन व्यक्ति अन्य अंगों से संयुक्त होने पर भी लोक में कठिनाइयों का अनुभव करता है। त्रिस्कन्ध ज्योतिष में भी समाज में फलित ज्योतिष के चमत्कार के प्रति लोगों का विशेष झुकाब रहता है। किसी भी शास्त्र के बिद्वान् से मिलने पर सामान्य जन अपने भूत-भविष्य तथा बर्तमान जानने की उत्सुकता रखता है। यदि वह व्यक्ति ज्योतिषफलिता का थोड़ा भी ज्ञान रखता है तो उसके प्रति सर्व सामान्य लोगों से सम्मान मिलता है। वराहमिहिराचार्य का कथन है “व्यञ्जयतिशास्त्रमेतत् तमसि दृष्याणि दीमिव”। मास्तिक जम पूर्वजन्मकृत शुभाशुभ का फल जानने के लिये ज्योतिषी के पास जाता है। ज्योतिषी के द्वारा फल कथन से उसे शान्ति मिलती है।
फलित ज्योतिषशास्त्र एक महासमुद्र की भाँति है, जिसके गर्भ में अनेक बहुमूल्य रत्न निहित हैं। किन्तु उन रत्नों को प्राप्त करने के लिये शास्त्र का आलोडन तथा गुरु कृपा के बिना उन रत्नों की प्राप्ति असम्भव है। फिर भी कभी-कभी सामान्य ढंग से खोजने पर भी किसी रत्न की प्राप्ति जिज्ञासु व्यक्ति को हो जाती है। इसी प्रकार फलित ज्योतिषशास्त्र महार्णव में कुछ छोटी-छोटी पुस्तिकायें हैं, जिनसे स्वल्प ज्ञान रखने वाले व्यक्ति को भी बहुत चमत्कारिक वस्तुएँ मिल जाती हैं। उन्हीं पुस्तिकाओं में प्रस्तुत “चमत्कार चिन्तामणि” का भी अपना महत्वपूर्ण स्थान है। क.ग्ण यह कि योगजग्रन्यों में अत्यधिक परिश्रम करने पर ही दैवज्ञ उचित फलादेश कर सकता है। किन्तु चमत्कार चिन्तामणि के द्वारा कोई साधारण संस्कृतज्ञ भी द्वादशभावों का फलादेश बड़ी सरलता से कर सकता है। इसी कारण हमने सरल संस्कृत व्याख्या एवं हिन्दी में सुगम ढंग से इसकी टीका की है।
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