Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.

Chandrakala Natika (चन्द्रकला नाटिका)

55.00

Author Dr. Jamuna Pathak
Publisher Chaukhambha Krishnadas Academy
Language Sanskrit & Hindi
Edition -
ISBN -
Pages 192
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0675
Other Dispatched in 1-3 days

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

चन्द्रकला नाटिका (Chandrakala Natika) कविराज विरचित चन्द्रकला नाटिका मास के ‘स्वप्नवासव दत्तम्’ और कालिदास के ‘मालविकाग्निमित्र’ एवं थधी हर्ष के ‘रत्नावली’ के समान ही प्रणय कथा प्रधान है। इस नाटिका का कथानक यद्यपि कविकल्पित है किन्तु इसमें भास, कालिदास एवं श्री हुर्ष के नाट्य ग्रन्थों की घटनाओं से पर्याप्त सादृश्य विद्यमान है। इस नाटिका में को पात्रों का आधिक्य है। भरत, कोहरू एवं धनञ्जय के अनुसार ही नाटिका में शृङ्गाररस के साथ-साथ संगीत आदि कलात्मक तत्त्वों का एकीकरण किया गया है।

लक्षण ग्रन्थों की श्रृंखला में विश्वनाथ की कृति साहित्य दर्पण का जिस प्रकार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थाना है। उसी प्रकार संस्कृत के नाट्य ग्रन्थों की श्रृंखला में चन्द्रकला नाटिका का महत्त्व है। इस नाटिका की पाण्डुलिपि की खोज पं० सत्यनारायण राजगुरु ने १९५३ में की थी। यह पाण्डुलिपि उड़ीसा के गंजाम जिले के परलकिमेटी शहर से श्री नरसिंह दास से उन्होंने प्राप्त की थी। वस्तुतः यह उड़ीसा स्टेट ग्यूजियम, भुवनेश्वर के लिए जुटाई गई थी। जो इस समय इसी म्यूजियम में विद्यमान है। चन्द्रकला नाटिका का डॉ० जमुना पाठक द्वारा सम्पादित प्रस्तुत संस्करण मुख्य रूप से इसी पर आधारित है। चन्द्रकला नाटिका का मञ्चन निश्शद्ध भानुदेव या भानुदेव IV के काल में हुआ था। निश्शङ्क मानुदेव का काल १४१३-१४ ई० से १४३५ ई० है। अतः विश्वनाथ कविराज ने इसे १४२० से १४३५ ई० के बीच कमी लिखा होगा।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Chandrakala Natika (चन्द्रकला नाटिका)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×