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Uttar Ramcharitam (उत्तररामचरितम्)

208.00

Author Dr. Rama Sankar Tripathi
Publisher Chaukhambha Krishnadas Academy
Language Hindi & Sanskrit
Edition 2021
ISBN 978-81-218-0052-8
Pages 564
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0676
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Description

उत्तररामचरितम् (Uttar Ramcharitam) साहित्य लतिका के दो सुमधुर मनोहर गलित फल हैं- (१) कविता-कामिनी-बिलास महाकवि कालिदास एवं (२) कविकृति-विभूति महाकवि भवभूति । एक की लेखनी शृङ्गार-सुधा-सिन्धु को उद्वेलित करनी है तो दूसरे की कारुण्यामृत की अबिरल वृष्टि करने में परम प्रवीण है। एक श्रृंगार-साम्राज्य का एकच्छत्र अधि- पति है तो दूसरा करुणामयी कविता का केश-वेश। अपने-अपने क्षेत्र में दोनों को महारत हासिल है। पहला पत्थर के हृदय पर वसन्त का वैभव विकसित कर सकता है तो दूसरा अपनी कविता के बलपर पत्थर के हृदय को भी पसीजने के लिए विवश करने का सामथ्य रखता है। कहने का भाव यह है कि दोनों ही महाकवि अपनी-अपनी दिशा के दिग्गज है।’अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ की व्याख्या बहुत पहले प्रकाशित हो चुकी है। उससे प्रसन्न होकर बहुत से अध्यापकों एवं छात्रों की सस्नेह सत्प्रेरणा ‘उत्तररामचरितम्’ की व्याख्या के लिये समय-समय पर प्राप्त होती रही। उन्हीं सत्प्रेरणाओं का रूक है यह कृति।

उत्तररामचरित का यह नवीन संस्करण साहित्य-रसिकों की सेवा में उपस्थित होने जा रहा है। ‘छात्रों को अधिक से अधिक सहायता पहुँचाई जा सके’ इस बात को विशेष रूप से ध्यान में रखते हुए यह संस्करण तैयार किया गया है। कोई भी व्यक्ति इस संस्करण की सहायता से, बिना किसी का आश्रय लिये हुए भी, कविता-विभूति महाकवि भवभूति के गम्भीर भावों के तल का स्पर्श अनायास कर सकता है। अध्यापकों आलोचकों तथा नई एवं पुरानी विचारधाराओं के विद्वानों के लिये भी इस संस्करण का उतना ही महत्त्व हो, जितना कि छापों के लिये एतदर्थ भी प्रयास किया गया है। प्रारम्भ में अनुसन्धानात्मक भूमिका के साथ इस संस्करण को अन्वय, शब्दार्थ, अर्थ, टीका, टिप्पणी तथा व्युत्पत्ति आदि से सजाने का भरपूर प्रवान किया गया है। उद्देश्य में कहाँ तक सफलता मिली है, इसका आकलन करना मेरा काम नहीं है। संक्षेप में यह प्रयास किया गया है कि यह संस्करण काव्य के अ एवं भाव को, स्वच्छ दर्पण की भाँति, प्रतिबिम्बित कर पाठकों की विनस अपेक्षित सेदा कर सके।

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