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Dan Mayukha (दानमयूखः)

718.00

Author Dr. Madhav Janardan Ratate
Publisher Bharatiya Vidya Prakashan
Language Sanskrit
Edition 2019
ISBN 978-93-88415-04-0
Pages 260
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0417
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Description

दानमयूखः (Dan Mayukha) महान् धर्मशास्त्री तया मी आचार्यश्री भट्ट के द्वारा विरचित भगवनाभास्कर के अन्तर्गत बारह मयूख है, जिनमें से एक हे दानमयूख। दानमयूख में देश कर तथा पात्र का विचार करते हुए विविध प्रसिद्ध तथा अप्रसिद्ध दानों की विधि तथा महत्व का प्रतिपादन है। जैसे-जलदान मासागर दान अदान धेनुदान, राजदान, रवदान, कन्यादान भूदान आदि इसके अतिरिक द्रव्य देवता, मण्डप, कुण्ड, यहपूज्य आदि का विस्तृत विवेचन है। वेन्दान के अन्तर्गत इत्यक्ष भेनु केही साथ धेनु जैसे-तिलभेन, पुतचेन, जालथेन, क्षीरथेनु, दचिधेनु, रमथेन, कापांसधेनु, शर्कराचेनु, लवणधेनु आदि का वर्गन मविधि किया गया है। पर्वत दान के क्रम में गुरुपर्वत, तिलाचल, सुवर्णाचार, घृताचल, रत्नाचल आदि का वर्णन सप्रमाण प्रस्तुत है। वेद दान, पुस्तक दान, प्रपादान, शालबामशिला का दान, अभयदान, दीपदान आदि दानों का वर्णन भी इस ग्रन्थ की विशिष्टता है। विविध देवताओ की प्रसत्रता के लिये क्या दान करना चाहिये नवी को प्रस करने के लिये क्या दान देवे? रविवार से शनिवार तक भित्र-भित्र वारों में किन-किन वस्तुओं का दान देना चाहिये? इन सारे प्रश्नों का समाधान दानमयूख में प्राप्त होता है। दान देने के मन्व, अश्वत्थ (पीपल) को सेवा का महत्व बताते हुए क्या देय है? तया क्या अदेय है? इसका धर्मशास्त्रसम्मत विवेचन प्रस्तुत अन्य में किया गया है। दान विषयक सम्पूर्ण तथ्यों का धर्मशास्त्र सम्मत लोकोपयोगी वर्णन इस धन्य दानमयूख की महत्त्वपूर्ण विशेषता है।

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