Ekoddishta Shraddh Paddhati (एकोदिष्ट श्राद्ध पद्धति)
₹25.00
Author | Shri Dhar Shastri |
Publisher | Shastri Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2021 |
ISBN | - |
Pages | 36 |
Cover | Paper Back |
Size | 17 x 0.5 x 11 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SP0028 |
Other | Dispach in 1-3 days |
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CompareDescription
एकोदिष्ट श्राद्ध पद्धति (Ekoddishta Shraddh Paddhati) मनुष्य पिता की मृत्यु तिथि को प्रतिवर्ष जो श्राद्ध करता है, उसे सांवत्सरिक एकोद्दिष्ट श्राद्ध कहते हैं। उसी श्राद्ध को कराने के लिए यह पद्धति प्रकाशित है। विश्वास है, इससे आपको सुविधा होगी। श्राद्ध के दिन घर के आंगन मे श्राद्ध करने के निमित्त स्थान को गोबर से लीप कर, पीली सरसों तथा तिल छिड़क कर पवित्र कर लें। गोबर का कंडा की अग्नि तैयार कर मिट्टी की नयी-शुद्ध हांडी में पिण्ड के लिये खीर पकायें। १. स्वयं पकाएं अथवा श्राद्धकर्ता की पत्नी भी खीर पका सकती हैं। २. लोहे के पात्र में खीर नहीं पकाना चाहिए और लोहे की कलछुल आदि से चलाना भी नहीं चाहिए। ३. खीर चलाने के लिए सरकंडा या अन्य कोई पवित्र लकड़ी का उपयोग करना चाहिए। ४. हांडी में चावल-दूध-घी-शहद बाद में चीनी मिलानी चाहिए। सभी वस्तुएं एक बार छोड़कर पकने के लिए अग्नि पर रख दें। बार-बार देखना चलाना नहीं चाहिए।
एक तिल या सरसों के तेल का दिया जला दक्षिण दिशा में संभाल कर रख दें। श्राद्ध पूर्ण होने तक दीपक बुझने नहीं पावे-पूरी व्यवस्था कर दें। दीपक में ? ही बाती लगायें-दीपक का मुख दक्षिण दिशा में रहे। अपने सामने स्वच्छ-शुद्ध मिट्टी लेकर १ बीता लम्बी-चौड़ी १ वेदी पिण्ड दान के लिए बनावें। वेदी दक्षिण दिशा की ओर नीची रहे। जिससे जल गिरने पर दक्षिण दिशा की ओर ही बहे। वेदी पर कोई तिनका-काड़। मकोड़ा आदि न रहे-सावधानी से देख लें। वेदी के आगे (दक्षिण की ओर) तीन पत्ता को जोड़कर बनाए हुए तिप्ता (चट) आसन के लिए रखे। आसन (तिप्ता) के सामने वेदी की ओर तिप्ता से मिला कर १ पत्ता भोजन पात्र के लिए रख दें। भोजन पात्र पर १ दोनिया अर्धपात्र के लिए रख दें।३ कुशा को एक में मिलाकर गांठ लगा ले। इसी त्रिकुश से पूजन होता है। २ कुशा को बट कर बीच से मोड़ कर मूल भाग (जड़) तथा अग्र भाग को मिला कर गांठ लगा ले-इसे मोटक कहते हैं-इसी से पिण्डदान आदि होता है। २ कुशा के बीच वाले हिस्से को निकाल कर दोनों को बट कर गाँठ लगाकर दाहिने हाथ में पहनने के लिए १ पवित्री (पैंती) बना लें। इसी तरह ३ कुशा की १ पवित्री बाएं हाथ के लिए तैयार कर लें। पवित्री (पेती) दोनों हाथों में अनामिका (तीसरी) अंगुली में पहनी जाती है। १ कुशा को बट कर मूल-अग्र भाग मिला कर गांठ लगाकर १ मोटक-आसन के लिए तैयार कर लें।
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