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Gopi Geet (गोपीगीत)

350.00

Author Swami Katpatri Ji Maharaj
Publisher Vedshastranusandhan Kendra
Language Hindi
Edition -
ISBN -
Pages 598
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code KJM0015
Other -

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Description

गोपीगीत (Gopi Geet) हम बुद्धिमान और समर्पित पाठकों के लिए सकलशास्त्रपरवरिन द्वादशदर्शनकानन पंचानन निगमागमपरादृश्व परब्रह्मस्वरूप पूज्यपाद श्री स्वामी करपात्रीजी महाराज के गोपी-गीत पर प्रवचनों का एक संग्रह ‘गोपो-गीत’ प्रकाशित करने के लिए खुद को बेहद आभारी मान रहे हैं। पूज्य चारणों ने श्रीमद्भागवत का असाधारण स्वाध्याय किया। उन्होंने इस महान पुस्तक के सभी कोनों में झाँक लिया था। अद्वैत के प्रति उनकी असाधारण भक्ति और तदनुरूपी प्रतिभा ने कभी भी उनके भक्त के हृदय के अंतरतम भाग पर बोझ नहीं डाला। उन्होंने प्रभु की शरण में अंतिम परम विश्राम पाने की इच्छा से उत्पन्न (आत्माओं के) लगभग सभी प्रयासों को, प्रभु के बारे में तीव्र विरह-संबंधी गर्मी की ज्वाला में जलते हुए, विभिन्न प्रकार की आकर्षक चुभन के साथ प्रस्तुत किया।

प्रवचनों में उन्होंने विरह और उभयवमथ में भी रस के पोषण और उसकी पूर्ण मुक्ति (मोक्ष) को बहुत ही सरल तरीके से स्थापित किया। ‘रासपञ्चाध्यायी’, ‘भ्रमर-गीत’, ‘गोपी-गीत’ एवं ऐसे ही अन्य मार्मिक प्रसंगों की मार्मिक व्याख्या एवं उनके स्वोपज्ञ ‘भक्तिरसार्णव’ अपने ग्रन्थ में भक्ति के सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक पक्षों को प्रस्तुत कर समकालिक समालोचकों की दृष्टि में भक्ति को दसवें रस के रूप में प्रतिष्ठित करने का श्रेयै उन्हें प्राप्त हुआ।

प्रस्तुत पुस्तक ‘गोपी-गीत’ की संकलयित्री श्रीमतो पद्मावती झुनझुनवाला महाराजश्री के शरण में आयीं। उनके शरण में आते ही इस महिला की बालकपन से ही रसानुगामिनी प्रतिभा निखर उठी। लेखनी कागज पर थिरकने लगी। ‘मीरा’ और भक्त रैदास के जीवन तथा साहित्य के विषय में पद्माजी ने गम्भीर शोध-ग्रन्थ लिखे जिसे विद्वानों और भक्तों ने पूर्ण सम्मान दिया; ‘मोरौं’ संबद्ध ग्रन्थ पर वे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत भी हुईं। पूज्यपाद स्वामीजी महाराज के पास ही मेरा इनसे परिचय हुआ । इनके विशेष अनुरोध पर पूज्यवर ने ‘श्रीमद्भागवत’ के दो अंश ‘गोपी-गीत’ और ‘भ्रमर-गीत’ का प्रवचन किया। ‘गोपी-गीत’ का प्रवचन तीन चातुर्मास्य में सम्पन्न हुआ, ‘भ्रमर-गीत’ का प्रवचन एक ही चातुर्मास्य में सम्पूर्ण करते हुए उन्होंने यह कहा था कि ‘समय बहुत कम है अन्यथा इस पर बहुत विशद व्याख्या हो सकती है।

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